मनीषा शर्मा। राजस्थान के सलूंबर में आगामी विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में 17 सरकारी शिक्षकों पर एपीओ (Awaiting Posting Order) कार्रवाई की गई है। इन शिक्षकों पर आरोप है कि उन्होंने एक विशेष राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार किया, जो कि चुनाव आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन है। जिला निर्वाचन अधिकारी को इन शिक्षकों के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसके आधार पर निर्वाचन विभाग ने त्वरित कार्रवाई की और सभी शिक्षकों को सलूंबर उपखंड ऑफिस में एपीओ कर दिया।
आचार संहिता का उल्लंघन और टीचर्स पर कार्रवाई
जिला निर्वाचन अधिकारी को मिली शिकायत के अनुसार, इन 17 शिक्षकों ने अपनी सरकारी नौकरी की मर्यादा को तोड़ते हुए एक राजनीतिक पार्टी का प्रचार किया। आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों को किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने से रोक दिया जाता है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि सरकारी कर्मी चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखें और सरकारी सेवा का दुरुपयोग न हो। आरोपित शिक्षकों के नाम विभिन्न विद्यालयों से जुड़े हैं, जिनमें थाणा, डेकली, गींगला, बरोड़ा और राठोड़ों का गुड़ा सहित कई स्थान शामिल हैं।
इन 17 टीचरों पर एपीओ की कार्रवाई
एपीओ की कार्रवाई झेलने वाले शिक्षकों में शामिल हैं: राउमावि थाणा के हीरालाल कलाल, राउमावि डेकली के ओम सालवी, राउमावि गींगला के देवीलाल भील, राउमावि बरोड़ा के रमेश मीणा, रामावि राठोड़ों का गुड़ा के सुरेश मीणा, राप्रावि रोडदिया फला कडूणी के कैलाश मीणा, राप्रावि बोरदिया फला के रामलाल मेघवाल, राप्रावि वरेला गुडेल के उमाराम मीणा, राउप्रावि दातरडी के डायाराम मीणा, राउप्रावि जेतपुरा गुडेल के वालाराम मीणा, राप्रावि बामण तालाब ओरवाडिया के नरेन्द्र मीणा, राप्रावि कलियावतफला मोरीला के दिनेश कटारा, राउमावि लांबी डूंगरी के लक्ष्मण मीणा, राउप्रावि खानावतफला गावडापाल के जीवतराम मीणा और किशनलाल मीणा, राउमावि बरोड़ा के रमेश कुमार मीणा, और राप्रावि लालवत भागल धारोद के मांगीलाल मीणा। सभी शिक्षकों को मुख्यालय से सलूंबर उपखंड ऑफिस में भेजा गया है।
निर्वाचन विभाग द्वारा जांच की शुरुआत
निर्वाचन विभाग ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इन शिक्षकों ने किस हद तक आचार संहिता का उल्लंघन किया। यदि जांच में इन शिक्षकों पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि होती है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही, अन्य सरकारी कर्मचारियों को भी चुनाव आचार संहिता का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।