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हिमालय से जैसलमेर पहुंचे 200 दुर्लभ गिद्ध: पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक

हिमालय से जैसलमेर पहुंचे 200 दुर्लभ गिद्ध: पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक

शोभना शर्मा। सर्दियों के मौसम में जैसलमेर की ओरण और मरुस्थलीय क्षेत्रों में हिमालय से आए दुर्लभ गिद्धों का झुंड देखा जा रहा है। इस बार अब तक 200 से अधिक गिद्ध जैसलमेर पहुंचे हैं। इनमें हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन, और सिनेरियस वल्चर जैसी प्रजातियां शामिल हैं।
ये पक्षी हर साल सर्दी के मौसम में भोजन की तलाश में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं और फरवरी तक प्रवास करते हैं।

हिमालय से जैसलमेर: प्रवासी गिद्धों का सफर

हिमालय के पार तिब्बत, मध्य एशिया और यूरोप जैसे ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले ये गिद्ध सर्दियों में नदियों और झीलों में बर्फ जम जाने के कारण भोजन की कमी का सामना करते हैं।

  • लंबा सफर: ये गिद्ध हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हुए जैसलमेर और आसपास के क्षेत्रों में पहुंचते हैं।
  • अवधि: ये अक्टूबर के अंत से फरवरी तक पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करते हैं।

जैसलमेर: गिद्धों का पसंदीदा प्रवास स्थल क्यों?

जैसलमेर और इसके आसपास का क्षेत्र, जैसे धोलिया, भादरिया गांव, और फतेहगढ़ की ओरण, इन गिद्धों के लिए उपयुक्त स्थान हैं।

  1. भोजन की उपलब्धता: जैसलमेर पशुधन बाहुल्य क्षेत्र है। मृत जानवर इन गिद्धों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत होते हैं।
  2. पर्यावरण शुद्धता: गिद्ध मृत पशुओं का सेवन करके प्रदूषण फैलने से रोकते हैं। इस कारण इन्हें पर्यावरण प्रेमी पक्षी भी कहा जाता है।
  3. राष्ट्रीय मरु उद्यान (डीएनपी): जैसलमेर का मरु उद्यान और आसपास की ओरण इन पक्षियों को आराम और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

गिद्धों की दुर्लभ प्रजातियां

वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमानी के अनुसार, जैसलमेर में अब तक हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन, और सिनेरियस वल्चर प्रजाति के गिद्ध देखे गए हैं।

  • हिमालयन ग्रिफॉन:
    • सर्दी के मौसम में हिमालय से जैसलमेर आते हैं।
    • इनकी लंबी उड़ान और ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता इन्हें खास बनाती है।
  • यूरेशियन ग्रिफॉन:
    • मुख्य रूप से यूरोप और एशिया में पाए जाते हैं।
    • प्रवासी पक्षी के रूप में जैसलमेर आते हैं।
  • सिनेरियस वल्चर:
    • संकटग्रस्त प्रजाति।
    • पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मददगार।

पक्षियों की विशेष मेमोरी

इन पक्षियों में विशेष तरह की मेमोरी होती है, जो उन्हें लंबे सफर के बाद भी सही जगह तक पहुंचने में मदद करती है।

  • ये झुंड में उड़ते हैं और रास्ते को याद रखते हैं।
  • जैसे साइबेरियन क्रेन भारत का रुख करती है, वैसे ही गिद्ध हिमालय पार कर सर्दियों में जैसलमेर का रुख करते हैं।

गिद्ध: पर्यावरण के संरक्षक

गिद्ध पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • प्रदूषण नियंत्रण: ये मृत जानवरों का सेवन कर प्रदूषण फैलने से रोकते हैं।
  • बीमारियों की रोकथाम: मृत पशुओं से फैलने वाली बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं।
  • संकटग्रस्त प्रजाति: गिद्धों की संख्या में कमी चिंता का विषय है। जैसलमेर जैसे क्षेत्रों में इनका प्रवास संरक्षण के प्रयासों का प्रतीक है।
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