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म्यांमार में 87 लाख की साइबर ठगी का शिकार बने राजस्थान के 31 युवक

म्यांमार में 87 लाख की साइबर ठगी का शिकार बने राजस्थान के 31 युवक

शोभना शर्मा।  हाल ही में इंटरपोल और म्यांमार सेना के ऑपरेशन में राजस्थान के 31 युवाओं को मुक्त कराया गया है, जिन्हें साइबर ठगों ने म्यांमार में बंधक बना लिया था। देशभर के कुल 540 युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से विदेश में मोटी सैलरी और आलीशान ज़िंदगी का झांसा देकर ठगा गया। इनमें से राजस्थान के ये युवक भी शामिल थे। इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब गुजरात के रहने वाले एक व्यक्ति हितेश ने इन युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से नौकरी का प्रस्ताव दिया और उन्हें थाईलैंड बुलाया।

थाईलैंड से म्यांमार तक का धोखाधड़ी भरा सफर

युवाओं को पहले सोशल मीडिया के माध्यम से उच्च वेतन और शानदार जीवनशैली का लालच दिया गया। जब ये युवक थाईलैंड पहुंचे, तो उन्हें धोखे से नदी पार कराकर म्यांमार के जंगलों में स्थित एक बहुमंजिला इमारत में कैद कर लिया गया। इस इमारत को ठगों ने आईटी पार्क का नाम दिया हुआ था, जिससे इन युवाओं को यह विश्वास दिलाया गया कि वे किसी वैध संस्थान में काम करने आए हैं।

ठगों ने वहां पहुंचते ही युवाओं के पासपोर्ट और मोबाइल फोन छीन लिए। उन्हें बंदूक की नोक पर साइबर ठगी करने के लिए मजबूर किया गया। युवाओं को एक महीने में 87 लाख रुपये की ठगी का टारगेट दिया गया था। इन ठगों का उद्देश्य था कि उनके जरिए भारत, अमेरिका और यूरोप के लोगों को ऑनलाइन ठगा जाए।

फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए की जा रही थी ठगी

साइबर ठगी में माहिर ठगों ने इन युवाओं को पहले फर्जी कॉल करने और ठगी के मैसेज भेजने की ट्रेनिंग दी। इसके बाद उन्हें रोज़ाना काम पर लगाया जाता था और अगर वे तय किए गए लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते थे, तो उन्हें भूखा रखा जाता था, मारा-पीटा जाता था और कई बार इलेक्ट्रिक शॉक तक दिए जाते थे।

लालच का जाल: 75 हजार सैलरी और 7 लाख तक का इंसेंटिव

राजस्थान पुलिस के साइबर क्राइम एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि इन युवाओं को हर महीने 87 लाख रुपये की ठगी करने के बदले 75 हज़ार रुपये की सैलरी और 7 लाख रुपये तक का इंसेंटिव देने का लालच दिया गया था। यह लालच युवाओं को और भी गहरे इस ठगी के जाल में फंसा रहा था।

कई सेंटरों से हो रही थी ठगी

म्यांमार के जंगलों में कई ऐसे सेंटर बनाए गए हैं, जो साइबर ठगी के लिए जाने जाते हैं। इन्हें ‘आईटी पार्क’ नाम दिया गया है। एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि केके 1 से केके 5 नामक सेंटर साइबर ठगी के लिए सक्रिय थे। इन सेंटरों में न केवल भारतीय युवक बल्कि चीन और पाकिस्तान के युवक भी ठगी का शिकार बनते रहे हैं।

गुजरात का हितेश: मुख्य आरोपी और दलाल

राजस्थान के इन युवाओं को फंसाने में गुजरात के हितेश नामक व्यक्ति का हाथ था। उसने इन युवाओं को थाईलैंड की टिकट बुक कराई और बाद में म्यांमार के ठगों के हवाले कर दिया। फिलहाल हितेश म्यांमार में छिपा हुआ है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।

किसान परिवारों के बच्चों के साथ धोखाधड़ी

जिन 31 युवाओं को मुक्त कराया गया है, वे राजस्थान के डीडवाना, झुंझुनू, सिरोही, कोटा, हनुमानगढ़, चूरू, जोधपुर और जयपुर के रहने वाले थे। अधिकतर युवक मध्यमवर्गीय और किसान परिवारों से आते हैं। इन परिवारों ने कर्ज़ लेकर अपने बच्चों को बेहतर जीवन देने के लिए विदेश भेजा था। लेकिन अब भी उत्तर प्रदेश के 31 और गुजरात के 15 युवक म्यांमार के ठगों की कैद में हैं।

पुलिस की अपील और युवाओं को नई शुरुआत का मौका

राजस्थान पुलिस ने इन युवाओं का मेडिकल चेकअप करवाया और फिर उन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया। पुलिस ने इन युवाओं से अपील की है कि वे अब इस ठगी के जाल से दूर रहें और अपने जीवन की एक नई शुरुआत करें।

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