शोभना शर्मा। राजस्थान के डीग जिले के गुलाल कुंड में होली का पर्व हर दिन मनाया जाता है। यह जगह भगवान कृष्ण और राधा की पवित्र लीला का प्रमाण मानी जाती है। बृज क्षेत्र में होली का यह अनोखा उत्सव भक्ति, प्रेम और रंगों का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। बृज में होली के त्योहार की शुरुआत गुलाल कुंड से मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण और राधा ने अपनी सखियों के साथ इसी कुंड में होली खेली थी। यह स्थान आज भी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र और आनंदमय स्थल है।
गुलाल कुंड का नामकरण भी इसके ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा रानी ने 10 मन केसर का गुलाल बनाया था। इसी कारण इस कुंड को ‘गुलाल कुंड’ कहा जाने लगा। भगवान कृष्ण ने राधाजी और सखियों के साथ मिलकर 100 मन गुलाल और 10 मन केसर से होली खेली थी। स्थानीय महंत कृष्ण मुरारी का कहना है कि सारस्वत कल्प में होली की शुरुआत यहीं से हुई थी। राधा रानी ने बरसाना में होली नहीं खेली थी क्योंकि वहां उनके माता-पिता और परिजन रहते थे। राधा रानी ने भगवान कृष्ण से कहा कि वह बरसाने में उनके साथ होली नहीं खेल सकतीं। उन्होंने अनुरोध किया कि उनके लिए एक अलग कुंड बनाया जाए, जहां वे 365 दिन होली खेल सकें। तभी से गुलाल कुंड में हर दिन होली का आयोजन होता है।
गुलाल कुंड की होली लीला का महत्व इतना अधिक है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र समेत देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। भक्तगण यहां भगवान कृष्ण और राधा से गुलाल की होली खेलते हैं और अपने आप को रंगों में सराबोर पाते हैं।
गुजरात की श्रद्धालु भावना बहन बताती हैं कि यहां का माहौल अलौकिक आनंद से भरा हुआ है। जहां भी देखो, भक्त अपने रंग में मग्न दिखाई देते हैं। भावना बहन के अनुसार, गुलाल कुंड में भगवान की नित्य होली लीला का अनुभव करना सौभाग्य की बात है। वहीं, गुजरात निवासी धर्मेश पिछले 5 वर्षों से लगातार यहां आ रहे हैं। उनका कहना है कि बृज की होली का कोई मुकाबला नहीं है। जहां भगवान कृष्ण ने राधाजी के साथ होली खेली हो, उस स्थान के दर्शन करना उनके लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है।
गुलाल कुंड का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे देशभर के श्रद्धालुओं के बीच एक विशेष स्थान बनाता है। बृज क्षेत्र में इस जगह की मान्यता और लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और भक्ति की यह पवित्र भूमि आज भी हर किसी को अपने रंग में रंगने की क्षमता रखती है। अगर आप भी बृज क्षेत्र में होली के अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो गुलाल कुंड जरूर जाएं। यहां का हर दिन होली जैसा उत्सव और भक्तों की श्रद्धा आपको एक अलग ही आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करेगी।