मनीषा शर्मा, अजमेर। राजस्थान के अजमेर जिले में एनआरआई से सवा करोड़ रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। इस मामले में मुख्य आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सहित 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी एक संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहे थे और शेयर बाजार में निवेश के झूठे वादे करके लोगों को ठग रहे थे।
ठगी की शुरुआत और एनआरआई का मामला दर्ज
यह मामला 6 जुलाई को तब दर्ज हुआ जब अजमेर निवासी एक एनआरआई ने साइबर थाने में शिकायत की। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे शेयर बाजार में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा दिया गया था। इसके बाद उससे कुल 1.25 करोड़ रुपए ठग लिए गए। जांच के दौरान पता चला कि यह ठगी संगठित तरीके से की गई थी, जिसमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित कई लोग शामिल थे। मुख्य आरोपी ने अपनी साख और तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल करके न केवल पीड़ित को भरोसे में लिया, बल्कि अन्य बेरोजगार युवाओं को भी अपने नेटवर्क में शामिल कर लिया।
गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई
1 दिसंबर को, पुलिस ने पहली गिरफ्तारी की, जिसमें नागौर के मेड़ता निवासी नर्सिंग स्टूडेंट मुंडेल (20) को हिरासत में लिया गया। जांच में पाया गया कि मुंडेल के बैंक अकाउंट में करीब 22 लाख रुपए का लेनदेन हुआ था, जिसमें से 5 लाख एनआरआई के थे। इसके बाद, 3 दिसंबर को पुलिस ने मुख्य आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट मनीष (49) सहित आठ अन्य लोगों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में उदयपुर निवासी विजय पटेल और अनुराग जैन, राजसमंद निवासी रवि जाट, और लोकेश जाट सहित कई अन्य शामिल हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट मनीष को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है, जबकि बाकी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
ठगी का तरीका: संगठित गिरोह का खुलासा
जांच अधिकारी सीओ ओमप्रकाश ने बताया कि मुख्य आरोपी मनीष ने इस ठगी को अंजाम देने के लिए एक पूरी रणनीति तैयार की थी।
- लालच का जाल: मुख्य आरोपी शेयर बाजार में निवेश के नाम पर अधिक मुनाफे का लालच देकर पीड़ितों को फंसाता था।
- बैंक अकाउंट्स का दुरुपयोग: बेरोजगार युवाओं को कमीशन का लालच देकर उनके बैंक खातों का उपयोग करता था।
- कैश ट्रांजेक्शन: ठगी की रकम को पहले ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाता था और बाद में कैश में बदल दिया जाता था।
- ओटीपी और पासवर्ड का उपयोग: आरोपी खाताधारकों से ओटीपी, यूजर आईडी और पासवर्ड लेकर रकम को अन्य खातों में ट्रांसफर करता था।
यह भी सामने आया है कि यह गिरोह विदेश से संचालित होता है। मुख्य आरोपी विदेश में बैठे मास्टरमाइंड के निर्देशों पर काम करता था।
रिकवरी और पुलिस की जांच
अब तक की जांच में पुलिस ने कुल 35 लाख रुपए की रिकवरी की है।
- 19.5 लाख रुपए: पूर्व में गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों से बरामद।
- 14 लाख रुपए: बैंक अकाउंट में सीज।
- 9 लाख रुपए: एक आरोपी द्वारा स्वेच्छा से सरेंडर।
मुख्य आरोपी से पूछताछ जारी है, और पुलिस को उम्मीद है कि गिरोह के अन्य सदस्यों और ठगी की पूरी प्रक्रिया का जल्द ही खुलासा होगा।
शेयर बाजार के नाम पर ठगी: बढ़ती चिंताएं
शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी के मामले पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। ऐसे मामलों में आमतौर पर निम्नलिखित तरीके अपनाए जाते हैं:
- झूठे वादे: उच्च रिटर्न का दावा करके लोगों को फंसाना।
- तकनीकी जानकारियों का दुरुपयोग: ओटीपी, पासवर्ड और अन्य व्यक्तिगत जानकारियों को हैक करना।
- लालच का उपयोग: बेरोजगार युवाओं और छात्रों को कमीशन का लालच देकर शामिल करना।
एनआरआई ठगी मामले के प्रभाव और सीख
इस मामले से निम्नलिखित बातें सामने आती हैं:
सावधानी की आवश्यकता: निवेश करने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी पुलिस को देना आवश्यक है।
साइबर सुरक्षा: ओटीपी और पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना।
सरकार की भूमिका: ऐसे संगठित अपराधों को रोकने के लिए सरकार को कड़े साइबर कानून और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।