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गुड़ी पड़वा और नव संवत्सर का महत्व

गुड़ी पड़वा और नव संवत्सर का महत्व

शोभना शर्मा। हिंदू वर्ष के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नव संवत्सर या गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है इस दिन हिंदू पंचांग के अनुसार नव वर्ष की शुरुआत होती है साथ ही चैत्र के नवरात्रि भी प्रारंभ होते हैं।

गुड़ी पड़वा का अर्थ
महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के कई राज्यों में हिंदू नव वर्ष के प्रथम दिन को गुड़ी पड़वा या उगादि के नाम से जाना जाता है गुड़ी पड़वा शब्द दो शब्दों गुड़ी और पड़वा से मिलकर बना है जिसमें “गुड़ी का अर्थ विजय पताका और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि” से है।

गुड़ी पड़वा का महत्व
हिंदू नव वर्ष के पहले दिन लोग अपने घर पर विजय पताका सजाते हैं ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि और वैभव का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं। क्योंकि यह दिन चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होता है इसीलिए देवी भगवती की पूजा का भी विशेष विधान है।

मान्यताएं
पौराणिक कथाओं की बात की जाए तो ऐसा माना जाता है कि गुड़ी पड़वा या नव सम्वत्सर सृष्टि की सृजन का दिन था इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है की गुड़ी पड़वा के दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में पराजित किया था। रामायण काल की कथा के अनुसार इस दिन किष्किंधा के नरेश बाली को उनके भाई सुग्रीव ने युद्ध में पराजित किया था और चैत्र की प्रतिपदा के दिन ही भगवान राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे।

गुड़ी पड़वा 2024
2024 में चैत्र प्रतिपदा 8 अप्रैल को रात 11:50 से प्रारंभ होकर 9 अप्रैल को रात 8:30 तक रहेगी। इस दिन नव संवत्सर 2081 की शुरुआत हो रही है। नव संवत्सर के पहले दिन के स्वामी को संपूर्ण वर्ष का स्वामी माना जाता है इस नजरिया से अगर देखा जाए तो नव समस्या मंगलवार से शुरू हो रहा है तो इस नव वर्ष के स्वामी मंगल देव होंगे।

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