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अजमेर की आनासागर झील में जलकुंभी का प्रकोप

अजमेर की आनासागर झील में जलकुंभी का प्रकोप

अजमेर की ऐतिहासिक और कृत्रिम झील आनासागर  यहां आने वाले पर्यटकों और पक्षियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। राजा अर्णोराज चौहान ने इस झील का निर्माण कराया था लेकिन वर्तमान में यह जलकुंभी के कारण अपनी दुर्दशा से परेशान है।

आनासागर सोख रही समुद्र सोख
आइकोर्निया क्रेसिपस यानी जलकुंभी किसी भी स्वस्थ जलाशय की स्थिति बिगड़ने में पूर्ण रूप से सक्षम होती है। जलकुंभी को किसी भी जलाशय के लिए अभिशाप माना जाता है क्योंकि जलकुंभी जल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है जिससे जल में रहने वाले जीवो को नुकसान पहुंचता है और उनका जीना मुश्किल हो जाता है। और इससे जल प्रदूषित होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

चारों तरफ फैल जलकुंभी का जाल
अजमेर की शान माने जाने वाली इस समय लगभग पूरी तरह जलकुंभी से ढकी हुई है रोजाना कई कई डंपर भरकर जलकुंभी को निकाला जाता है और यह काम कई महीनो से चल रहा है लेकिन ‌ जलकुंभी तो मानो अपना फैलाव कम करने के लिए तैयार ही नहीं है।

पर्यटन पर पड़ रहा बुरा असर
अजमेर को धार्मिक और संस्कृत दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है आनासागर झील अजमेर के सौंदर्य में ही नहीं बल्कि यहां की पर्यटन में भी अपनी विशेष भूमिका निभाती है लेकिन वर्तमान में जलकुंभी से ढकी है झील न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य को खोती जा रही है बल्कि दुर्गंध के चलते और पर्यटकों की आवक भी कम हो गई है।

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