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भारत को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के माध्यम से विश्वगुरु बनने का संकल्प

भारत को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के माध्यम से विश्वगुरु बनने का संकल्प

मनीषा शर्मा। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि भारत जीवंत संस्कृति वाला राष्ट्र है। विश्व की बौद्धिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का मूल यही देश रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने ही विश्वभर को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के जरिए सार्वभौमिक समानता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि आजादी के सौ साल पूर्ण होने का अवसर ‘भारत के उस गौरव को पुनः प्राप्त’ करने से जुड़ा है। उन्होंने देश की समृद्ध ज्ञान परम्परा और अद्वितीय इतिहास से जुड़ी संस्कृति पर चिंतन—मनन कर भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास किए जाने का आह्वान किया है।

बागडे शुक्रवार को एक निजी होटल में ‘जयपुर डायलॉग 2024’ के वार्षिक समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की आर्थिक और सांस्कृतिक महाशक्ति बनें। यह समय हमारी सांस्कृतिक और सभ्यतागत जड़ों की ओर लौटने से जुड़ा है। उन्होंने प्राचीन भारत के वैश्विक व्यापार के केंद्र में रहने की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दृष्टि इसी संदर्भ में दी है। यह प्रधानमंत्री के पंच प्रण—विकसित भारत, मानसिक उपनिवेशवाद के उन्मूलन, हमारी विरासत पर गर्व, नागरिकों की एकता और कर्तव्य से जुड़े हैं। यही हमारी सभ्यता के मूल सिद्धांतों का स्वाभाविक विस्तार है।

राज्यपाल ने शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए कार्य करने, नैतिकता के साथ राष्ट्र प्रेम से विद्यार्थियों को जोड़ने और महापुरुषों के आदर्श जीवन को अपनाते हुए उनमें राष्ट्रभक्ति के विचार भरने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य के ‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए सभी मिलकर कार्य करें।

इससे पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और जयपुर डायलॉग के संस्थापक संजय दीक्षित ने ‘जयपुर डायलॉग्स 2024’ के अंतर्गत ‘रिक्लेमिंग भारत’ की वृहद सोच के बारे में विस्तार से अवगत कराया।

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