शोभना शर्मा, अजमेर। केकड़ी जिले का दर्जा हटाने के विरोध में वकीलों का धरना बुधवार को छठे दिन भी जारी रहा। बार एसोसिएशन के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन ने अब उग्र रूप लेना शुरू कर दिया है। अधिवक्ताओं ने इसे न केवल जनविरोधी कदम बताया, बल्कि इसे क्षेत्र के विकास और जनता के अधिकारों पर कुठाराघात करार दिया।
धरने के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रहलाद चौधरी ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि यदि केकड़ी जिले का दर्जा तुरंत बहाल नहीं किया गया, तो केकड़ी क्षेत्र के लोग आंदोलन को और उग्र करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल कानूनी या प्रशासनिक नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और सम्मान से भी जुड़ा हुआ है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मगनलाल लोधा ने सरकार पर राजनीतिक द्वेष के आरोप लगाते हुए कहा कि केकड़ी से छोटा होने के बावजूद डीग जिले का दर्जा कायम रखा गया है, जबकि केकड़ी को जिला सूची से हटा दिया गया। उन्होंने इसे सरकार के दोहरे मापदंड और पक्षपातपूर्ण नीति का उदाहरण बताया। लोधा ने कहा कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र होने के कारण डीग जिले को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जो जनभावनाओं के साथ विश्वासघात है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि केकड़ी जिला हटाने का फैसला न केवल क्षेत्र की जनता के हितों को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि विकास की गति को भी धीमा कर देगा। बार एसोसिएशन के सदस्यों ने इसे केकड़ी की गरिमा और विकास से जुड़ा अहम मुद्दा बताया।
आंदोलन को और तेज करने की योजना:
धरने के दौरान वकीलों ने आंदोलन को और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए रणनीति तैयार की। वकीलों ने कहा कि यह धरना केवल शुरुआती कदम है और अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो आंदोलन को और अधिक उग्र रूप दिया जाएगा।
बार एसोसिएशन ने जनता से भी इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह केवल वकीलों का मुद्दा नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति का है, जो केकड़ी के विकास और भविष्य की परवाह करता है। धरने में हिस्सा लेने वाले वकीलों ने इसे “जन अधिकारों की रक्षा” का संघर्ष बताया।
सरकार से मांग:
बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राजस्थान सरकार से अपील की कि केकड़ी को जिला बनाए रखने के फैसले को तत्काल पुनः बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को क्षेत्रीय विकास और जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।