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पाली: मेहंदी, पापड़ और गुलाब हलवा के साथ इतिहास और उद्योग का संगम

पाली: मेहंदी, पापड़ और गुलाब हलवा के साथ इतिहास और उद्योग का संगम

शोभना शर्मा । पाली, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर नगर है, जो अपनी मेहंदी (हिना), स्वादिष्ट पापड़ और गुलाब हलवा मिठाई के लिए प्रसिद्ध है। पाली का पुराना नाम पालिका था, जिसे पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। इन्हें मुगलों के आतंक के कारण पाली छोड़ना पड़ा था। यह नगर इतिहास में प्रसिद्ध दानी राजा भामाशाह की जन्मस्थली भी है।

पाली जिला राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में स्थित है और बांदी नदी के तट पर बसा यह शहर जोधपुर से 70 किमी दक्षिण-पूर्व में है। पाली की सीमाएं राजस्थान के आठ जिलों से मिलती हैं, लेकिन किसी अन्य राज्य या देश से नहीं।

पाली अपनी मेहंदी और दूध व गुलाब से बनने वाली खास मिठाई गुलाब हलवा के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यहां के पापड़ भी काफी मशहूर हैं। पाली में हिंदी के अलावा ‘गोड़वाड़ी (मारवाड़ी) बोली’ भी बोली जाती है।

पाली को वर्तमान में एक औद्योगिक शहर के रूप में भी जाना जाता है, खासतौर पर कपड़ा उद्योगों के लिए। यहां सूती और सिंथेटिक कपड़े एवं यार्न भारत के अन्य राज्यों में काफी सस्ते दामों में भेजे जाते हैं। कपड़ा उत्पादन के लिए यहां की महाराजा श्री उम्मेद मिल मशहूर है, जो राजस्थान की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मिल है। इसकी स्थापना 1940 में हुई थी। इसके अलावा, यहां चूड़ियां बनाने, मार्बल कटिंग, और मार्बल फिनिशिंग जैसे उद्योग भी चल रहे हैं। गुजरात अंबुजा सीमेंट प्लांट भी पाली में स्थित है।

पाली का इतिहास पांडवों और परशुराम से भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि महाभारत युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान कुछ समय पाली में रहे थे। अरावली पर्वत श्रृंखला की एक गुफा में परशुराम ने तपस्या की थी, जिसे परशुराम गुफा के नाम से जाना जाता है। पाली में महर्षि जाबालि ने वेदों की व्याख्या की थी। यह प्राचीन काल में ‘अर्बुदा’ प्रांत का एक भाग था, जिसे ‘बल्ल-देश’ के नाम से भी जाना जाता था।

1857 के विद्रोह के दौरान पाली को प्रसिद्धि मिली, जब यहां के जागीरदार ठाकुर कुशाल सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। पाली में अंग्रेजों से हुए युद्ध में स्वतंत्रता सेनानियों की जीत हुई और ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन मेसन का सिर काट कर आउवा किले के मुख्य द्वार पर लटका दिया गया था। भारत की आजादी के बाद, पाली का 1949 में उम्मेद सिंह के उत्तराधिकारी हनुवंत सिंह द्वारा भारत में विलय कर दिया गया।

पाली के दर्शनीय स्थलों में पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध जवाई बांध शामिल है, जो मारवाड़ के अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है। रणकपुर का जैन मंदिर अपनी विशिष्ट स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। निम्बों का नाथ मंदिर और ओम बन्ना मंदिर भी यहां के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी द्वारा निर्मित भगवान शिव का सोमनाथ मंदिर भी यहाँ स्थित है।

पाली का यह संपूर्ण वर्णन इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और औद्योगिक विशेषताओं को दर्शाता है, जो इसे एक विशिष्ट पहचान देता है।

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