मनीषा शर्मा। योग गुरु बाबा रामदेव को लेकर एक बार फिर कानूनी पचड़ा सामने आया है। राजस्थान के कोटा जिले में उनके खिलाफ एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने की मांग की गई है। यह मामला पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर बाबा रामदेव के पुराने बयान से जुड़ा हुआ है। परिवादी नीरज तिवारी द्वारा दायर इस याचिका में पतंजलि आयुर्वेद के प्रमुख बाबा रामदेव और एक टीवी चैनल के संचालक को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब करने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए 20 मार्च तक जवाब मांगा है।
क्या है पूरा मामला?
इस पूरे विवाद की शुरुआत बाबा रामदेव के पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिए गए एक बयान से हुई थी। बाबा रामदेव ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी की सरकार बनती है, तो पेट्रोल की कीमत 35 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। इसके बाद, कोटा के गुमानपुरा निवासी नीरज तिवारी ने 25 अक्टूबर 2021 को कोटा न्यायालय में बाबा रामदेव और एक टीवी चैनल के संचालक के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत इस्तगासा दायर किया था। हालांकि, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-5 ने इस मामले में सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन इस फैसले से असंतुष्ट होकर परिवादी नीरज तिवारी ने उच्च अदालत में निगरानी याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर अब अपर सेशन न्यायालय क्रम-1 में सुनवाई हो रही है, और कोर्ट ने 20 मार्च तक जवाब तलब किया है।
नए याचिका में क्या कहा गया है?
इस बार याचिका में परिवादी ने बाबा रामदेव और टीवी चैनल के संचालक द्वारा वकालतनामा पर किए गए हस्ताक्षरों को संदेहास्पद बताया है।परिवादी के वकील लोकेश कुमार सैनी ने बताया कि – “बाबा रामदेव और टीवी चैनल संचालक के हस्ताक्षर संदेहास्पद लग रहे हैं। उनकी प्रामाणिकता पर शक है। ऐसे में दोनों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब कर उनके हस्ताक्षर निगरानी याचिका की आदेशिका पर कराने की जरूरत है। इससे संदेह दूर होगा और न्याय की निष्पक्षता बनी रहेगी।” इस याचिका में अदालत से यह अपील की गई है कि जब तक बाबा रामदेव और टीवी चैनल संचालक न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक संदेह बना रहेगा।
न्यायालय की प्रतिक्रिया और आगामी सुनवाई
कोर्ट ने 20 मार्च की तारीख तय करते हुए बाबा रामदेव और टीवी चैनल संचालक से जवाब मांगा है। इस मामले में यदि कोर्ट परिवादी के पक्ष में निर्णय लेता है, तो बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ सकता है। हालांकि, बाबा रामदेव की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्या बाबा रामदेव के बयान ने किया था लोगों को गुमराह?
यह पूरा मामला बाबा रामदेव के एक पुराने बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि – “अगर नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आती है, तो पेट्रोल की कीमत 35 रुपये प्रति लीटर होगी।” इस बयान के बाद, आम जनता में एक उम्मीद जगी थी कि केंद्र सरकार बनने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी गिरावट होगी। लेकिन, 2014 में मोदी सरकार आने के बाद पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ती गईं और वर्तमान में भी 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर बनी हुई हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि – “बाबा रामदेव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह किया, जिससे जनता ने भाजपा को वोट दिया। लेकिन, बाद में पेट्रोल की कीमतें कम नहीं हुई, बल्कि लगातार बढ़ती गईं। यह धोखाधड़ी के दायरे में आता है।”
क्या हो सकते हैं मामले के परिणाम?
अगर कोर्ट याचिका को स्वीकार करता है, तो बाबा रामदेव और टीवी चैनल संचालक को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना पड़ेगा और वकालतनामा पर नए सिरे से हस्ताक्षर करने होंगे।
अगर बाबा रामदेव इस पर जवाब नहीं देते हैं, तो कोर्ट उनके खिलाफ सख्त आदेश जारी कर सकता है।
अगर याचिका खारिज होती है, तो मामला यहीं समाप्त हो सकता है।
बाबा रामदेव और पतंजलि के लिए क्या हो सकता है असर?
यदि यह मामला आगे बढ़ता है, तो बाबा रामदेव की छवि को नुकसान हो सकता है।
पतंजलि ब्रांड की साख भी प्रभावित हो सकती है, खासकर उन लोगों के बीच, जिन्होंने उनके पेट्रोल-डीजल के दावे पर भरोसा किया था।
यह मामला आगे बढ़ने पर राजनीतिक रूप से भी चर्चा का विषय बन सकता है और विपक्ष इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है।