मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा में जल संसाधन और जलदाय विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बीजेपी और कांग्रेस विधायकों के बीच तीखी बहस हुई। बीजेपी विधायक गुरवीर सिंह ने कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 2008 से 2013 के बीच कांग्रेस सरकार ने तीन नहरें हरियाणा को दे दीं, क्योंकि उस समय के मंत्री और चीफ इंजीनियर की जमीनें हरियाणा में थीं।
गुरवीर सिंह ने यह भी कहा कि हमारी सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने तब के मुख्यमंत्री से इस फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा, “हमारा पानी हरियाणा को क्यों दिया गया?”
कांग्रेस विधायक का पलटवार: “शहीदों के बच्चे पानी के लिए भटक रहे”
बीजेपी विधायक के आरोपों पर कांग्रेस विधायक श्रवण कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राजस्थान के हर मुख्यमंत्री ने अपने-अपने क्षेत्र में विकास किया, लेकिन झुंझुनूं जिला हमेशा पानी के संकट से जूझता रहा।
उन्होंने कहा, “हमारे जिले के लोग देश के लिए शहीद होते रहे, लेकिन उनके बच्चे पानी के लिए भटक रहे हैं। शर्म करो! झुंझुनूं को पानी देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।”
श्रवण कुमार ने यह भी ऐलान किया कि अगर वे इस बार झुंझुनूं को पानी नहीं दिला पाए, तो अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे।
शहरी निकाय चुनाव: वन स्टेट-वन इलेक्शन के तहत होंगे चुनाव?
राजस्थान में इस साल नवंबर तक शहरी निकाय चुनाव कराए जाने की संभावना है। वन स्टेट-वन इलेक्शन की घोषणा के बाद, अब सभी की नजरें इन चुनावों की तारीख पर टिकी हैं।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार से पूछा, “निकाय चुनाव कब होंगे?” इस पर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जवाब दिया कि “चुनाव नवंबर 2025 तक कराए जा सकते हैं।”
बीजेपी विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने चुनावों में ईवीएम की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाया। इस पर मंत्री ने कहा, “अगर ईवीएम की कमी पड़ी, तो हम पड़ोसी राज्यों से मंगवा लेंगे।”
राजस्व रिकॉर्ड की गलतियों पर जोरदार बहस
राजस्व रिकॉर्ड में गलतियों से जुड़े सवाल पर भी विधानसभा में जमकर नोकझोंक हुई।
उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीणा ने कहा कि “राजस्व रिकॉर्ड में गलतियों की वजह से किसान परेशान हैं। जनता त्राहिमाम कर रही है। सरकार इस पर क्या जवाब देगी?”
इस पर स्पीकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सवाल सीधा पूछा जाए और भाषण न दिया जाए।
राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा कि “इस सवाल का कोई मतलब नहीं है, यह सिर्फ भाषणबाजी है।”
संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार करते हुए कहा कि “राजस्व रिकॉर्ड की गलतियां पिछली सरकारों की देन हैं।”