मनीषा शर्मा,अजमेर। आनासागर झील के किनारे बने सेवन वंडर्स पार्क को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इसे वेटलैंड और पर्यावरण संरक्षण के नियमों के खिलाफ बताते हुए हटाने का आदेश दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया कि निर्माण चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो उसे हटाना होगा।
NGT के आदेश और कानूनी लड़ाई
आनासागर झील के किनारे हुए निर्माण को लेकर अशोक मलिक ने 2023 में NGT में याचिका दायर की थी। उनका आरोप था कि झील के आसपास का निर्माण वेटलैंड संरक्षण और मास्टर प्लान का उल्लंघन करता है। इसके बाद अगस्त 2023 में NGT ने आदेश दिया कि इस क्षेत्र में बने सभी अवैध निर्माण हटाए जाएं। हालांकि, अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने जनवरी 2024 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार और मुख्य सचिव से जवाब मांगा कि NGT के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
25 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव को 11 मार्च तक एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद उन्हें 17 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया। इससे पहले भी स्मार्ट सिटी की एसीईओ और नगर निगम कमिश्नर द्वारा पेश किए गए एफिडेविट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और नाराजगी जताई थी। कोर्ट का कहना था कि निर्माण कार्य सुंदर जरूर है, लेकिन नियमों की अवहेलना हुई है, तो उसे हटाना ही होगा।
सेवन वंडर्स में क्या-क्या मौजूद था?
अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बने सेवन वंडर्स पार्क में दुनियाभर की प्रसिद्ध इमारतों की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जिनमें शामिल हैं:
पेरिस का आइफिल टॉवर
मिश्र के पिरामिड
पीसा की झुकी हुई मीनार
रोम का कोलोसियम
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (अमेरिका)
क्राइस्ट द रिडीमर (ब्राजील)
आगरा का ताजमहल
कार्रवाई शुरू, हटाई जा रही प्रतिमाएं
सोमवार को प्रशासन ने सेवन वंडर्स पार्क को आम लोगों के लिए बंद कर दिया। इस दौरान कई सैलानी पहुंचे, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा। शाम 6 बजे से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को हटाने के लिए क्रेन लगाई गई। साथ ही, फूड कोर्ट और गांधी स्मृति उद्यान की पक्की फर्श भी तोड़ी जा रही है। जेसीबी मशीनों की मदद से नगर निगम की टीम अवैध निर्माण हटाने में जुटी हुई है।
स्थानीय लोग नाराज, प्रशासन पर सवाल
इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय निवासियों ने नाराजगी जताई। उनका कहना था कि करोड़ों रुपये खर्च करके बने निर्माण को तोड़ा जा रहा है, लेकिन प्रशासन दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि ग्रीन बेल्ट और वेटलैंड क्षेत्र में पक्के निर्माण हटाने की कार्रवाई की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी। हालांकि, इस मामले पर अजमेर कलेक्टर लोकबंधु, एडीए कमिश्नर नित्या के. से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद बनी 8 अफसरों की कमेटी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी बनाने के लिए जिला प्रशासन ने 8 अधिकारियों की एक कमेटी गठित की, जिसमें शामिल हैं:
एडीए भूमि अवाप्ति अधिकारी खेमराम यादव
एसडीओ पदमा देवी
नगर निगम मुख्य अभियंता नरेंद्र अजमेरा
एडीए निदेशक अभियांत्रिकी ओपी. वर्मा
निदेशक विधि नीता मिश्रा
निदेशक परियोजना महेंद्र चौधरी
जल संसाधन विभाग एसई केएम. जायसवाल
नगर निगम एक्सईएन रमेश चौधरी
NGT ने जताई थी चिंता
NGT की भोपाल बेंच ने 2023 में सेवन वंडर्स पार्क, गांधी स्मृति उद्यान और झील के चारों ओर बने फूड कोर्ट को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। NGT ने कहा था कि इन अवैध निर्माणों के कारण आनासागर झील का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने कोर्ट में फोटो दिखाते हुए कहा था कि निर्माण सुंदर हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा था कि “नियम तोड़े गए हैं, तो निर्माण तोड़ना ही पड़ेगा।”