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जैसलमेर में बर्ड फ्लू का खतरा: सुरक्षा को लेकर प्रशासन अलर्ट

जैसलमेर में बर्ड फ्लू का खतरा: सुरक्षा को लेकर प्रशासन अलर्ट

मनीषा शर्मा। जैसलमेर में H5N1 एवियन फ्लू यानी बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि होने के बाद प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। यह बीमारी, जो मुख्य रूप से पक्षियों में फैलती है, अब इंसानों और अन्य जानवरों के लिए भी खतरा बन सकती है। प्रशासन ने देगराय ओरण इलाके के आसपास मृत पक्षियों के मिलने की जगहों को हॉटस्पॉट घोषित कर दिया है। इन इलाकों में लोगों और पशुओं के जाने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है।

अब तक 14 पक्षियों की मौत

जैसलमेर जिले के देगराय ओरण इलाके में अब तक 14 कुरजा पक्षियों की मौत हो चुकी है। प्रशासन ने पुष्टि की है कि इन मौतों का कारण बर्ड फ्लू है। भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (निषाद) की रिपोर्ट में इन पक्षियों में H5N1 वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई। मृत पक्षियों को पूरी सावधानी के साथ मास्क और ग्लव्स पहनकर दफनाया गया है। इसके बाद संक्रमण को रोकने के लिए फिनाइल और अन्य रसायनों का छिड़काव किया गया।

बचाव के लिए प्रशासन की अपील

प्रशासन ने स्थानीय निवासियों और पर्यटकों से अपील की है कि यदि वे मृत पक्षी को देखते हैं तो उसे हाथ न लगाएं। इसकी सूचना तुरंत पशुपालन विभाग, वन विभाग, या हैल्थ डिपार्टमेंट को दें। विभाग की टीम प्रोटोकॉल के अनुसार मृत पक्षियों का निपटान करेगी।

बर्ड फ्लू के लक्षण और इंसानों में खतरा

बर्ड फ्लू, जिसे एवियन फ्लू भी कहा जाता है, एक वायरस जनित संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है। H5N1 वायरस का संक्रमण पक्षियों के सांस नली और फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। यह बीमारी इंसानों में निमोनिया और कोरोना जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकती है। हालांकि जैसलमेर में अब तक इंसानों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन भविष्य में इसके फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

क्या करें और क्या न करें

  • मृत पक्षियों को छूने से बचें।

  • मास्क और ग्लव्स का उपयोग करें।

  • संक्रमित क्षेत्र के तालाबों के पानी का उपयोग न करें।

  • प्रशासन द्वारा जारी प्रोटोकॉल का पालन करें।

प्रवासी पक्षियों का जैसलमेर में डेरा

प्रवासी कुरजा पक्षी, जो हजारों किलोमीटर दूर से पश्चिमी राजस्थान आते हैं, हर साल सितंबर से फरवरी के बीच यहां डेरा डालते हैं। यह पक्षी चीन, मंगोलिया और कजाकिस्तान जैसे देशों से लंबी दूरी तय कर आते हैं। सर्दियों में पश्चिमी राजस्थान का गर्म और सूखा मौसम उनके लिए अनुकूल होता है। जैसलमेर के देगराय ओरण, लूनेरी तालाब, और अन्य इलाकों में इन पक्षियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति देखी जाती है।

संक्रमण रोकने के प्रयास

जैसलमेर प्रशासन ने बर्ड फ्लू संक्रमण को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। फील्ड अधिकारियों की गश्त तेज कर दी गई है, और संक्रमित इलाकों में सभी प्रकार की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। क्यूआरटी टीमों को सक्रिय कर दिया गया है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

बर्ड फ्लू का वैश्विक परिप्रेक्ष्य

बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में हांगकांग में पाया गया था। H5N1 वायरस का डेथ रेट करीब 60% था, जो इसे सबसे घातक बीमारियों में से एक बनाता है। हालांकि, इंसानों में संक्रमण के मामले अभी दुर्लभ हैं, लेकिन अगर यह वायरस म्यूटेट होकर इंसानों से इंसानों में फैलने लगा, तो यह महामारी का रूप ले सकता है।

ग्रामीणों को दिशा-निर्देश

प्रशासन ने ग्रामीणों को संक्रमित इलाकों के तालाबों के पानी का उपयोग न करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, अधिकारियों ने फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मृत पक्षियों को सरकारी नियमों के तहत उठाया जाए।

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