मनीषा शर्मा, अजमेर। महिला अत्याचार कोर्ट ने 29 सितंबर 2017 को घटित एक गंभीर अपराध के मामले में तीन आरोपियों को सजा सुनाई है। आरोपियों ने उस समय चार दोस्तों पर चाकू से हमला किया था, जिसके पीछे मात्र एक मामूली बात—हॉर्न बजाने पर हुई कहासुनी—थी। कोर्ट ने इस हत्या के प्रयास के मामले में तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें 7-7 साल की सजा और 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
घटना का विवरण:
विशिष्ट लोक अभियोजक अशरफ बुलंद के अनुसार, 29 सितंबर 2017 को चंद्रवरदाई क्षेत्र में रहने वाले कमलेश और उसके तीन दोस्त अमर सिंह, सुमित और यश टाक डांडिया देखने के बाद अपने घर लौट रहे थे। रास्ते में रामगंज सामुदायिक भवन के सामने हॉर्न बजाने को लेकर उनकी कुछ युवकों से कहासुनी हो गई। इस बहस ने जल्दी ही उग्र रूप ले लिया, और युवकों ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में कमलेश समेत चारों दोस्त गंभीर रूप से घायल हो गए।
पुलिस जांच और गिरफ्तारी:
घायल कमलेश के पर्चा बयान पर पुलिस ने 30 सितंबर 2017 को हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया। जांच में सामने आया कि हमलावरों में अजय नगर का निवासी अजय उर्फ सोनू, नरेश उर्फ नरेंद्र और राहुल उर्फ गौरी शामिल थे। पुलिस ने शुरुआत में अजय और नरेश को गिरफ्तार कर लिया, जबकि राहुल फरार चल रहा था। अंततः, पुलिस ने राहुल को 20 नवंबर 2017 को गिरफ्तार किया और इसके बाद मामले का विस्तृत चालान 25 नवंबर 2017 को अदालत में पेश किया।
अदालत का फैसला:
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 34 दस्तावेज और 22 गवाह पेश किए गए। इन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने अजय उर्फ सोनू, नरेश उर्फ नरेंद्र और राहुल उर्फ गौरी को दोषी ठहराया। अदालत ने तीनों को 7-7 साल की सजा के साथ ही 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
इस फैसले ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि मामूली विवादों को उग्र रूप देकर हिंसक घटनाओं में बदलना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।