मनीषा शर्मा। अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में विवाद तब बढ़ा जब संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया। इस मामले पर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने विपक्ष और विदेशी ताकतों पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को कमजोर करने की साजिशें हो रही हैं। सिद्दीकी ने दावा किया कि यदि दरगाह को लेकर कोई विवाद होता, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 10 वर्षों से यहां चादर और फूल नहीं भेजते।
विवाद और प्रधानमंत्री की भूमिका
जमाल सिद्दीकी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी भी काम को न तो दबाव में करते हैं और न ही किसी को खुश करने के लिए। उन्होंने बताया कि मोदी का दरगाह को लेकर कदम तुष्टिकरण नहीं, बल्कि उनकी निजी आस्था का प्रतीक है। उन्होंने इस विवाद को उन लोगों की साजिश बताया जो देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
सिद्दीकी ने कहा कि जो लोग अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर कह रहे हैं, वे देश को तोड़ने की साजिश में शामिल हैं। उन्होंने हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या वह भारत के पहले ऐसे विद्वान हैं जिन्होंने यह दावा किया है? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या देश की इंटेलिजेंस एजेंसी और ऐतिहासिक शोध विफल रही है?
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और हिंदू-मुस्लिम एकता
जमाल सिद्दीकी ने बताया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि दरगाह में लंगर में कभी मांसाहारी भोजन नहीं बनता। ख्वाजा साहब ने खुद हिंदुत्व के कई मूल्यों को अपनाया और उनका झंडा भगवा है।
सिद्दीकी ने कहा कि इस दरगाह पर देश के हर धर्म और संप्रदाय के लोग श्रद्धा के साथ आते हैं। उन्होंने इस विवाद को भारत की संस्कृति और विविधता पर हमला करार दिया।
कांग्रेस पर हमला और मुसलमानों के वोट बैंक की राजनीति
सिद्दीकी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने मुसलमानों को हमेशा वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दंगों और डर की राजनीति के जरिए मुसलमानों को पीछे रखा। वहीं, भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में इस मानसिकता को बदला है।
अजमेर विवाद पर कोर्ट की सुनवाई
अजमेर सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर को संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर याचिका स्वीकार की। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह में पहले मंदिर था। याचिका में 1911 में प्रकाशित रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब “अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” का हवाला दिया गया है।
सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
विदेशी ताकतों और विपक्ष पर साजिश के आरोप
जमाल सिद्दीकी ने विवाद को विदेशी ताकतों और विपक्ष की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि ये ताकतें भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। सिद्दीकी ने कहा कि यह विवाद भारतीय संस्कृति को कमजोर करने और हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने के लिए उकसाया गया है।
इस्लाम की शिक्षा और बांग्लादेश के हालात
सिद्दीकी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस्लाम मार-काट और हिंसा का धर्म नहीं है। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को सत्ता के भूखे लोगों की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश उसी रास्ते पर चल रहा है जिस पर पाकिस्तान बर्बाद हुआ।