शोभना शर्मा। अजमेर दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने मंगलवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने भारत की धार्मिक एवं आध्यात्मिक विविधता को रेखांकित करते हुए अजमेर को जैन धर्म के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत की धार्मिक विविधता और अजमेर का महत्व
दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने अपने पत्र में लिखा कि भारत विभिन्न धर्मों और समृद्ध आध्यात्मिक विरासतों का संगम है। यह भूमि अनगिनत संतों, ऋषियों और महापुरुषों का तपोस्थल रही है, जिन्होंने मानवता के कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में अजमेर का विशेष स्थान है।
अजमेर शहर धार्मिक सहिष्णुता और विविधता का प्रतीक है। यहां स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इसी के साथ, अजमेर में ब्रह्मा जी का तीर्थ स्थल भी स्थित है, जो इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतिष्ठा को और अधिक बढ़ाता है।
आचार्य विद्यासागर महाराज और अजमेर का विशेष संबंध
दरगाह दीवान ने कहा कि 6 फरवरी को देशभर में जैन समाज द्वारा आचार्य 108 विद्यासागर महाराज की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आचार्य विद्यासागर महाराज अपनी कठोर तपस्या, त्याग और मानव सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके विचार संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रेरणादायक हैं और आगे भी समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
आचार्य विद्यासागर महाराज का अजमेर से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन की यात्रा यहीं से प्रारंभ की थी और इसी पुण्यभूमि में उन्हें दीक्षा मिली थी। इसी कारण से अजमेर देशभर के जैन समाज के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बन गया है।
अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग
दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि अजमेर को राष्ट्रीय स्तर पर जैन तीर्थ स्थल घोषित करना न केवल आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रति सम्मान प्रकट करेगा, बल्कि यह भारत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक प्रतिष्ठित करेगा।
उन्होंने कहा कि अगर अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल का दर्जा दिया जाता है, तो इससे न केवल जैन समाज को लाभ मिलेगा, बल्कि इससे अन्य सभी धर्मों और समुदायों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता को भी बल मिलेगा।
धार्मिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भाव को मिलेगा बढ़ावा
दरगाह दीवान ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक अजमेर हमेशा से धार्मिक सहिष्णुता का केंद्र रहा है। यहां हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख और अन्य धर्मों के अनुयायी सदियों से सौहार्दपूर्वक रहते आए हैं।
अगर अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता दी जाती है, तो इससे विभिन्न समुदायों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा और धार्मिक सहिष्णुता को नया आयाम मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी से विशेष आग्रह
दरगाह दीवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मांग पर विचार करने और अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल का दर्जा देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जैन समाज के लिए गर्व की बात होगी और साथ ही, भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक विरासत को भी मजबूती प्रदान करेगा।