शोभना शर्मा, अजमेर। अजमेर डिस्कॉम के अंतर्गत आने वाले उदयपुर जिले के मावली कार्यालय में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ कैशियर धर्मवीर चौधरी ने 48 दिनों के भीतर 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए का गबन कर लिया। यह घोटाला बिजली बिलों और कनेक्शन शुल्क की रसीदें काटकर, लेकिन रजिस्टर में कम राशि दर्ज कर, किया गया। जब अधिकारियों ने मासिक रिपोर्ट की मांग की, तो आरोपी ने बहाने बनाकर इसे टाल दिया और अंततः फरार हो गया। जांच में पता चला कि धर्मवीर ने न केवल पैसे जमा करने में हेराफेरी की, बल्कि फर्जी रसीद बुक का उपयोग भी किया। इस मामले में अजमेर डिस्कॉम ने सख्त कदम उठाते हुए दोषी कैशियर और अन्य संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
घोटाले का खुलासा:
घटना की शुरुआत तब हुई जब मावली उपखंड कार्यालय में हर महीने के राजस्व का हिसाब पेश करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी देखी गई। एईएन (असिस्टेंट इंजीनियर) बिजेंद्र गहलोत ने बताया कि हर कैशियर को 1 से 10 तारीख के बीच अपने महीने का हिसाब पेश करना होता है। लेकिन धर्मवीर चौधरी ने दिसंबर महीने का हिसाब पेश नहीं किया। बार-बार पूछे जाने के बावजूद वह बहाने बनाता रहा और 18 दिसंबर को सख्ती करने के बाद 19 दिसंबर से फरार हो गया। धर्मवीर ने मोबाइल फोन बंद कर लिया और तब से विभाग से कोई संपर्क नहीं किया। इसके बाद विभाग ने खातों की गहन जांच की, जिसमें पता चला कि 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए का गबन हुआ है। यह राशि बिजली बिलों, कनेक्शन फीस और अन्य शुल्कों से संबंधित थी, जिसे बैंक में जमा नहीं किया गया।
फर्जी रसीद बुक का इस्तेमाल
धर्मवीर चौधरी ने ग्राहकों को रसीदें जारी कर उनकी राशि स्वीकार की, लेकिन वह राशि बैंक में जमा करने के बजाय अपने पास रखता था। इसके लिए उसने फर्जी रसीद बुक बनाई, जिसका उपयोग लेन-देन को दिखाने के लिए किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस फर्जी रसीद बुक का सत्यापन किया जा रहा है।
विभागीय कार्रवाई
घोटाले का खुलासा होने के बाद अजमेर डिस्कॉम के एमडी केपी वर्मा ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने न केवल आरोपी धर्मवीर चौधरी को, बल्कि एईएन बिजेंद्र गहलोत और सहायक राजस्व अधिकारी आदित्य निमावत को भी सस्पेंड कर दिया। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मामले में लापरवाही बरती और समय पर कार्रवाई नहीं की। एमडी ने कहा कि इस घोटाले की गहन जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। यह टीम बैंक खातों, रसीद बुक और ग्राहकों के लेन-देन का विस्तृत विश्लेषण करेगी।
राजस्व का दुरुपयोग
यह पूरा मामला डिस्कॉम के राजस्व की हेराफेरी से जुड़ा है। बिजेंद्र गहलोत ने बताया कि गबन की गई राशि ग्राहकों से बिजली के बिलों, नए कनेक्शन करवाने, कनेक्शन काटने और अन्य शिकायतों के समाधान के लिए वसूली गई थी। यह राशि नियमित रूप से बैंक में जमा होनी चाहिए थी, लेकिन धर्मवीर ने इसे अपने पास रख लिया।
ग्राहकों पर असर
इस घोटाले से सीधे तौर पर ग्राहकों पर भी प्रभाव पड़ा है। कई ग्राहकों ने अपनी बिजली बिल की राशि का भुगतान किया, लेकिन उनके खातों में इसे अपडेट नहीं किया गया। इससे ग्राहकों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ा।
घोटाले की व्यापकता
धर्मवीर द्वारा गबन की गई राशि 48 दिनों की अवधि में 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए है, जो कि अपने आप में एक बड़ा घोटाला है। यह मामला न केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी को उजागर करता है, बल्कि विभागीय प्रक्रियाओं में खामियों को भी दिखाता है।