शोभना शर्मा। अजमेर में 16 से 26 फरवरी तक अखिल भारतीय किन्नर महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जो किन्नर समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण होगा। इस महासम्मेलन में देशभर से करीब चार से साढ़े चार हजार किन्नर समाज के सदस्य भाग लेंगे।
किन्नर समाज की गद्दीपति सलोनी बाई ने इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह महासम्मेलन किन्नर समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजने और बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास होगा। इस 10 दिवसीय आयोजन के दौरान कई महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जिनमें हवन, कलश यात्रा, चाक पूजा, खिचड़ी तुलाई और भव्य जुलूस प्रमुख रहेंगे।
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम
यह महासम्मेलन किन्नर समाज की समृद्ध परंपराओं का जीवंत उदाहरण होगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें प्रमुख रूप से हवन, कलश यात्रा और चाक पूजा शामिल हैं।
- हवन और पूजा: महासम्मेलन की शुरुआत हवन और विशेष पूजा से होगी, जिसमें किन्नर समाज के सदस्य धर्माचार्यों के मार्गदर्शन में भाग लेंगे। यह अनुष्ठान समाज की उन्नति और देश की खुशहाली के लिए किया जाएगा।
- कलश यात्रा: सम्मेलन के दौरान भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सैकड़ों किन्नर समाज के सदस्य पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होंगे।
- चाक पूजा: यह पूजा किन्नर समाज की प्रमुख परंपराओं में से एक मानी जाती है। इस अनुष्ठान के दौरान विशेष विधि-विधान से पूजा संपन्न होगी।
- खिचड़ी तुलाई: इस महासम्मेलन में खिचड़ी तुलाई की विशेष रस्म भी निभाई जाएगी। यह आयोजन सामूहिक भोज का प्रतीक होता है, जिसमें पहले भोजन के रूप में खिचड़ी तैयार की जाती है और सभी किन्नर समाज के सदस्य इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- अंबे माता मंदिर में छत्र चढ़ाने की परंपरा: इस धार्मिक आयोजन के अंतर्गत अजमेर के अंबे माता मंदिर में छत्र चढ़ाया जाएगा, जो कि किन्नर समाज की धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
इन धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा, सम्मेलन के समापन पर एक भव्य जुलूस भी निकाला जाएगा, जिसमें किन्नर समाज के सदस्य पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर शामिल होंगे और समाज में एकता व समानता का संदेश देंगे।
किन्नर समाज के प्रति सम्मान और सुरक्षा की पहल
गद्दीपति सलोनी बाई ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किन्नर समाज को पहचान, सम्मान और सुरक्षा मिली है। किन्नर समाज लंबे समय से मुख्यधारा में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अब सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से उन्हें उचित अधिकार मिल रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस महासम्मेलन में देश की तरक्की और प्रधानमंत्री की दीर्घायु के लिए विशेष प्रार्थना की जाएगी। किन्नर समाज की यह प्रथा रही है कि वे अपने आशीर्वाद से समाज को सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।
महामंडलेश्वर लक्ष्मी त्रिपाठी की उपस्थिति की संभावना
इस महासम्मेलन में किन्नर समाज की प्रसिद्ध नेता और महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के शामिल होने की संभावना भी जताई जा रही है। लक्ष्मी त्रिपाठी किन्नर समाज की एक प्रतिष्ठित और प्रेरणादायक शख्सियत हैं, जो किन्नर समुदाय के अधिकारों और उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
उनकी उपस्थिति से महासम्मेलन का महत्व और भी बढ़ जाएगा। वे अपने संबोधन में किन्नर समाज की समस्याओं, अधिकारों और भविष्य की दिशा पर चर्चा कर सकती हैं।
किन्नर महासम्मेलन: समाज में एकता और समानता का संदेश
यह महासम्मेलन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि किन्नर समाज की संस्कृति और परंपराओं को सहेजने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। इस आयोजन के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को यह संदेश मिलेगा कि किन्नर समुदाय भी भारतीय संस्कृति और समाज का अभिन्न अंग है।
यह आयोजन किन्नर समाज को संगठित करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का एक मंच प्रदान करेगा।
किन्नर समुदाय को मुख्यधारा में लाने और उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
यह कार्यक्रम भारत में किन्नर समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को और मजबूती प्रदान करेगा।