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IIFA अवार्ड में राजस्थानी लोक कलाकारों की अनदेखी का आरोप

IIFA अवार्ड में राजस्थानी लोक कलाकारों की अनदेखी का आरोप

शोभना शर्मा।  राजस्थान की राजधानी जयपुर में 8 और 9 मार्च को आयोजित IIFA अवार्ड समारोह में राज्य के स्थानीय लोक कलाकारों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। यह अवार्ड समारोह सैकड़ों बॉलीवुड और अन्य फिल्मी जगत की मशहूर हस्तियों की मौजूदगी में संपन्न हुआ। लेकिन, राजस्थान के प्रसिद्ध लोक कलाकारों को न केवल मंच से दूर रखा गया, बल्कि उन्हें इस आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण भी नहीं दिया गया।

स्थानीय कलाकारों का छलका दर्द

लोक कलाकारों ने इस उपेक्षा पर गहरा दुख और आक्रोश प्रकट किया है। लिच्छू मारवाड़ी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि इतने बड़े आयोजन में स्थानीय कलाकारों को तवज्जो नहीं दी गई, जबकि राजस्थान की संस्कृति और परंपरा को संजोए रखने में ये कलाकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, “अगर सरकार ने हमें कम से कम आमंत्रित ही कर लिया होता और अतिथि के रूप में सम्मान दिया होता, तो यह हमारे लिए गौरव की बात होती।”

सरकार से आर्थिक सहायता की मांग

प्रेस वार्ता में मशहूर भजन गायक दिनेश माली और बॉलीवुड के गायक सतीश देहरा ने भी अपनी बात रखी। सतीश देहरा ने सरकार से गुजारिश की कि वृद्धावस्था में लोक कलाकारों को आर्थिक सहायता देने के लिए पेंशन जैसी योजनाएं लागू की जाएं। उन्होंने कहा कि राज्य में कई कलाकार अपनी कला के दम पर जीविका चला रहे हैं, लेकिन उम्र के साथ आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

देहरा ने कहा, “हमें उम्मीद नहीं है कि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान देगी। लेकिन अगर सरकार इस बात पर गौर करे, तो वृद्धावस्था में कलाकारों को आर्थिक सहायता मिल सकेगी और वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे।”

IIFA अवार्ड में राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर की उपेक्षा

यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान के लोक कलाकारों की उपेक्षा की गई है। IIFA जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर जहां बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारों को बुलाया गया, वहीं राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों को अनदेखा करना बहुत ही निराशाजनक है।

IIFA अवार्ड जैसी विशाल अंतरराष्ट्रीय सेरेमनी में स्थानीय कलाकारों को भी मंच पर जगह दी जानी चाहिए थी। राजस्थान के संगीत और नृत्य कला का इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है। लेकिन सरकार और आयोजनकर्ताओं द्वारा इसकी अनदेखी करना राज्य की कला और संस्कृति के प्रति एक प्रकार की उदासीनता को दर्शाता है।

सरकार की चुप्पी और कलाकारों की उम्मीदें

स्थानीय कलाकारों ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दे और भविष्य में ऐसे आयोजनों में राजस्थान के कलाकारों को भी उचित स्थान दे। साथ ही, उन्होंने सरकार से पेंशन योजना और आर्थिक सहायता की मांग भी की है ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके।

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