मनीषा शर्मा । राजस्थान के सवाई माधोपुर की 27 वर्षीय नरेशी मीणा ने “कौन बनेगा करोड़पति” (केबीसी) में 50 लाख रुपए की बड़ी रकम जीतकर अपनी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ हासिल किया। ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही नरेशी ने इस गेम शो में हिस्सा लेकर अपनी जिंदादिली का परिचय दिया। नरेशी का कहना है कि जब आप हॉट सीट पर बैठते हैं, तो 100 प्रतिशत यकीन कुछ नहीं होता, खासकर जब आपके सामने अमिताभ बच्चन जैसे महानायक बैठे हों। उनका अनुभव बिल्कुल अविस्मरणीय था, और उन्होंने अपने इस सफर को एक बड़े उद्देश्य के साथ जोड़ा।
नरेशी मीणा का ब्रेन ट्यूमर का पता साल 2018 में चला, जब वे सब इंस्पेक्टर (SI) की परीक्षा में सफल होने के बाद मेडिकल टेस्ट के लिए गईं। इस खबर ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया, और वे लंबे समय तक डिप्रेशन में रहीं। हालांकि, उनके परिवार—मां छोटी देवी, पिता राजमल, और बड़े भाई शिवराम और लक्ष्मीकांत—ने उन्हें सहारा दिया और उनका इलाज करवाने के लिए हर संभव प्रयास किया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद, उनकी मां ने अपने गहने बेचकर नरेशी के इलाज का खर्च उठाया।
नरेशी ने अपने कोचिंग टीचर से प्रेरित होकर “कौन बनेगा करोड़पति” में हिस्सा लेने का फैसला किया। उनके पास घर में टीवी नहीं था, इसलिए वे अपने ताऊजी के घर जाकर शो देखती थीं। नरेशी की इस प्रेरणा ने उन्हें केबीसी की हॉट सीट तक पहुंचाया। उन्होंने गेम शो में 50 लाख रुपए जीते, लेकिन 1 करोड़ के सवाल पर गेम छोड़ने का निर्णय लिया।
हालांकि, केबीसी में नरेशी का प्रमुख उद्देश्य केवल पैसे जीतना नहीं था। उन्होंने शो में अपने ब्रेन ट्यूमर की गंभीर स्थिति के बारे में बताया, जिसे डॉक्टर पूरी तरह से निकालने में असमर्थ थे। ट्यूमर का कुछ हिस्सा उनके दिमाग में अब भी है, और इसका एडवांस इलाज—प्रोटोन ट्रीटमेंट—बहुत महंगा है। जब अमिताभ बच्चन ने उनकी यह कहानी सुनी, तो वे इतने भावुक हो गए कि उन्होंने नरेशी से वादा किया कि वे उनके ट्रीटमेंट का खर्च खुद उठाएंगे।
नरेशी अब अपने परिवार के लिए कुछ खास करने की योजना बना रही हैं। वे अपनी मां की ज्वेलरी वापस बनवाना चाहती हैं और अपने पिता को भी एक सुंदर तोहफा देना चाहती हैं। इसके अलावा, वे सवाई माधोपुर में एक घर खरीदने का मन बना रही हैं, जहां वे वर्तमान में किराए पर रहती हैं। उनके इस प्रेरणादायक सफर ने न केवल उन्हें आर्थिक स्थिरता प्रदान की है, बल्कि एक नई उम्मीद भी जगाई है।