मनीषा शर्मा। राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव में विजयी रहे 7 नवनिर्वाचित विधायकों ने मंगलवार, 3 दिसंबर को विधानसभा में शपथ ली। इन विधायकों को स्पीकर वासुदेव देवनानी ने अपने चेंबर में शपथ दिलाई। शपथ लेने वालों में रेवंत राम डांगा, डीसी बैरवा, शांता देवी मीणा, राजेन्द्र गुर्जर, राजेन्द्र भांबू, सुखवंत सिंह, और अनिल कटारा शामिल थे।
चौरासी से अनिल कटारा और भील प्रदेश की मांग
चौरासी से जीतने वाले भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के प्रत्याशी अनिल कटारा ने शपथ लेने के बाद भील प्रदेश की मांग को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा, “भील प्रदेश हमारे पुरखों की मांग है, और इसे लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा।” कटारा ने यह भी कहा कि चार राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की उनकी पार्टी की प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने दावा किया कि BAP अगले विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाएगी।
कटारा ने कहा कि उनका लक्ष्य दक्षिण राजस्थान से पलायन रोकना और आदिवासी समुदायों के लिए अवसर बढ़ाना है। सलूम्बर चुनाव में हार को लेकर उन्होंने कहा कि पार्टी को थोड़ा और मेहनत करनी होगी, लेकिन अगले चुनाव में BAP की पकड़ मजबूत होगी। अनिल कटारा द्वारा भील प्रदेश की मांग ने एक बार फिर आदिवासी समुदाय की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश की है। यह मुद्दा न केवल राजस्थान, बल्कि मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगा।दौसा से डीसी बैरवा की ऐतिहासिक जीत
दौसा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी डीसी बैरवा ने भारी जीत हासिल की। उन्होंने किरोड़ी लाल मीणा के भाई डॉ. जगमोहन मीणा को हराया। शपथ ग्रहण के बाद बैरवा ने अपने संबोधन में कहा कि यह जीत केवल उनकी नहीं बल्कि दौसा की जनता की है, जिन्होंने किरोड़ी लाल मीणा के गढ़ में बदलाव का संदेश दिया। बैरवा ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, विशेष रूप से सचिन पायलट, को इस जीत का श्रेय दिया।
खींवसर से रेवंत राम डांगा का जीत का सफर
खींवसर में आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराकर कांग्रेस प्रत्याशी रेवंत राम डांगा ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने इस जीत को किसान पुत्रों और आम जनता की आवाज बताया। शपथ ग्रहण के बाद डांगा ने कहा कि यह जीत जनता की ओर से हनुमान बेनीवाल को सीधा संदेश है। डांगा ने कहा, “राजनीति में गढ़ या साम्राज्य स्थायी नहीं होते। जनता जब चाहती है, बदलाव होता है।” खींवसर की इस जीत ने कांग्रेस को एक नई ऊर्जा दी है।
राजस्थान उपचुनाव: राजनीतिक समीकरण
इस बार उपचुनाव में 7 सीटों पर हुए मतदान ने राज्य के राजनीतिक समीकरण को नया मोड़ दिया है।
- बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत हासिल की।
- कांग्रेस ने दौसा और खींवसर में जीत दर्ज की।
- भारत आदिवासी पार्टी ने चौरासी सीट पर अपनी पकड़ मजबूत रखी।
दौसा और खींवसर की जीत ने कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक बढ़त दी है। इन सीटों पर जीत न केवल पार्टी के संगठन को मजबूत करेगी, बल्कि 2024 के चुनावों के लिए भी रणनीतिक दिशा तय करेगी। बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत हासिल करके अपनी स्थिति मजबूत की है। हालांकि, कांग्रेस की क्षेत्रीय पकड़ को देखते हुए राज्य में विपक्ष के लिए चुनौती बरकरार है।