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सालासर बालाजी धाम में अरविंद केजरीवाल: मोदी के नारों के बीच किए दर्शन

सालासर बालाजी धाम में अरविंद केजरीवाल: मोदी के नारों के बीच किए दर्शन

शोभना शर्मा। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नए साल के मौके पर राजस्थान के प्रसिद्ध सालासर बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्हें अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़ा, जब मंदिर परिसर के बाहर जमा भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाना शुरू कर दिया। इस घटना ने सालासर बालाजी धाम में राजनीति और धर्म के संगम को लेकर चर्चा को जन्म दिया।

सालासर बालाजी धाम में पूजा-अर्चना

अरविंद केजरीवाल बुधवार रात करीब 10 बजे सालासर बालाजी धाम पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी मौजूद थीं। मंदिर में केजरीवाल ने बालाजी महाराज की पूजा-अर्चना की और मन्नत का नारियल बांधा। स्थानीय पुजारी ने उन्हें बालाजी महाराज की तस्वीर भेंट कर उनका स्वागत किया।

मोदी-मोदी के नारों का सामना

मंदिर से बाहर निकलते ही, हजारों लोगों की भीड़ ने अरविंद केजरीवाल को घेर लिया और जोर-जोर से मोदी-मोदी के नारे लगाने लगी। इस अप्रत्याशित स्थिति में भी केजरीवाल मुस्कुराते रहे और हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन करते हुए वहां से निकल गए। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी इस दौरान शांत बनी रहीं।

यह घटना उस समय हुई जब अरविंद केजरीवाल के काफिले के पास भारी भीड़ जुटी थी। उन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी प्राप्त है, लेकिन इसके बावजूद लोग उनके काफी नजदीक पहुंच गए। यह दिखाता है कि सालासर बालाजी धाम में अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

सालासर में ही रुके

पूजा के बाद अरविंद केजरीवाल ने रात को सालासर में ही रुकने का फैसला किया। उन्होंने वहां रात बिताई और गुरुवार सुबह जयपुर के लिए रवाना हो गए। इस दौरान, उनके दर्शन और पूजा-अर्चना को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में उत्सुकता बनी रही।

राजनीति और धर्म का संगम

यह पहली बार नहीं है कि सालासर बालाजी धाम जैसी धार्मिक जगहों पर राजनेताओं की मौजूदगी ने सुर्खियां बटोरी हैं। अरविंद केजरीवाल का बालाजी मंदिर में दर्शन करना और मोदी-मोदी के नारों का सामना करना यह दिखाता है कि राजनीति और धर्म किस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं।

चर्चा का विषय

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी ने हमेशा से ही धर्म और राजनीति को अलग रखने की बात कही है। हालांकि, सालासर बालाजी धाम में हुई यह घटना यह दर्शाती है कि धार्मिक स्थलों पर भी राजनीतिक माहौल अपना प्रभाव डालता है।

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