शोभना शर्मा। राजस्थान में लंबे समय से सरकारी कर्मचारियों के तबादलों पर लगी रोक को आखिरकार हटा लिया गया है। राज्य सरकार ने 1 जनवरी से 10 जनवरी तक के लिए तबादलों की अनुमति दे दी है। इस अवधि में 3 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित किए जाएंगे। हालांकि, शिक्षा विभाग के लिए यह राहत फिलहाल लागू नहीं होगी।
शिक्षा विभाग में तबादलों पर प्रतिबंध क्यों?
शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक का कारण शिक्षक तबादला नीति का फाइनल नहीं होना बताया जा रहा है। खासकर ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादले पिछले लंबे समय से रुके हुए हैं। पहले की सरकारों के कार्यकाल में शिक्षक तबादलों में कई विवाद उठे थे। इसके अलावा बीच सत्र में तबादले होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो सकती थी, इसलिए सरकार ने फिलहाल इस विभाग में बैन जारी रखने का निर्णय लिया है।
कौन-कौन से विभाग होंगे प्रभावित?
तबादलों का सबसे ज्यादा असर मेडिकल, ऊर्जा, पुलिस और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) पर पड़ेगा। इन विभागों में कर्मचारियों के इधर-उधर होने की संभावना सबसे अधिक है।
वोटर लिस्ट अपडेशन में लगे कर्मचारियों का तबादला 8 जनवरी से
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी वोटर लिस्ट के अपडेशन में लगे हैं, उनके तबादले 8 जनवरी से ही शुरू होंगे। इन कर्मचारियों के लिए प्रतिबंध 7 जनवरी तक जारी रहेगा।
सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की सिफारिश का बोलबाला
तबादलों के इस दौर में बीजेपी विधायकों और नेताओं की सिफारिशें अहम भूमिका निभाएंगी। मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठकों में विधायकों ने तबादलों से बैन हटाने की मांग प्रमुखता से उठाई थी। यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों की भी डिजायर इन तबादलों में चलेगी।
शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक के अन्य कारण
शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक का कारण नई नीति का अभाव और पिछले विवाद हैं। पहले के अनुभवों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि शिक्षक तबादलों में आरोप-प्रत्यारोप लगने से प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, पिछले राज में भी ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादले नहीं किए गए थे। शिक्षक संगठन लंबे समय से तबादलों से प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने शिक्षा विभाग को इससे बाहर रखा है।
तबादला नीति में क्या है खास?
सरकार ने अब तक तबादला नीति को अंतिम रूप नहीं दिया है। नई नीति में स्थानांतरण के लिए अधिक पारदर्शिता और प्रभावी प्रणाली लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू बनी रहेगी।
पिछले राज में तबादलों की स्थिति
कांग्रेस सरकार के दौरान भी तबादलों पर रोक लंबे समय तक बनी रही थी। तब भी ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादले नहीं किए गए थे। अब बीजेपी सरकार ने दूसरी बार इस बैन को अस्थायी रूप से हटाया है।
राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश
तबादलों के इस दौर को राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सत्ताधारी पार्टी के नेता इसे अपने क्षेत्र के लिए फायदा उठाने का अवसर मान रहे हैं। विधायकों और नेताओं के लिए यह समय अपने प्रभाव का प्रदर्शन करने का है।