शोभना शर्मा। बंगाल गवर्नर सी वी आनंद बोस को हैरेसमेंट केस में राजभवन ने क्लीन चिट दे दी है। राजभवन ने महिला कर्मचारी के आरोपों को निराधार बताया और पुडुचेरी के रिटायर्ड जज से जांच करवाई। रिपोर्ट के अनुसार, गवाहियों और घटना की परिस्थितियों ने आरोपों को संदेहास्पद बताया। घटना के दिन प्रधानमंत्री मोदी का राजभवन दौरा और SPG की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल पर लगाए गए आरोप असंभव माने गए हैं।
राजभवन की अन्य महिला कर्मचारियों ने भी गवाही दी कि राज्यपाल ने कभी गलत व्यवहार नहीं किया। TMC ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए और कहा कि गवर्नर के खिलाफ जांच उनके परिचित द्वारा कराना एक कॉमेडी सीरियल जैसा है। TMC नेता कुणाल घोष ने गवर्नर को आर्टिकल 361 का गलत फायदा नहीं उठाने की सलाह दी।
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 361 की जांच करने की स्वीकृति दी है, जो राज्यपालों को आपराधिक मुकदमे से छूट देता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला कर्मचारी से केंद्र को भी पार्टी बनाने को कहा है। महिला ने पश्चिम बंगाल पुलिस से मामले की जांच और सुरक्षा की मांग की है।
Article 361: भारतीय संविधान का आर्टिकल 361 राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक मुकदमे से पूरी तरह छूट देता है। इसके तहत कोई भी सिविल कार्यवाही 2 महीने की पूर्व सूचना के बाद ही शुरू की जा सकती है।