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गहलोत सरकार में बने 17 नए जिलों पर जल्द फैसला लेगी भजनलाल सरकार

गहलोत सरकार में बने 17 नए जिलों पर जल्द फैसला लेगी भजनलाल सरकार

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के समय बनाए गए 17 नए जिलों को लेकर जल्द ही निर्णय लेने का संकेत दिया है। लेकिन प्रस्तावित जनगणना के चलते राज्य की प्रशासनिक सीमाएं सील हैं, जिसके कारण जिलों के क्षेत्राधिकार में कोई भी बदलाव करना इस समय संभव नहीं है।

सीएम भजनलाल ने लिखा अमित शाह को पत्र:

राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राजस्थान के लिए प्रशासनिक सीमाओं को 31 दिसंबर 2024 तक खोलने की अनुमति देने का आग्रह किया है। इससे राज्य सरकार गहलोत सरकार के समय बने जिलों के क्षेत्राधिकार में बदलाव, कुछ जिलों को समाप्त करने और छोटे जिलों का आपस में विलय करने पर विचार कर सकेगी।

प्रशासनिक इकाइयों की समय सीमा बढ़ाने की मांग:

सीएम भजनलाल ने पत्र में बताया कि राज्य की प्रशासनिक सीमाओं को 1 जुलाई 2024 तक ही तय किया गया था, लेकिन प्रदेश में नई प्रशासनिक इकाइयों का निर्माण और जिलों के क्षेत्राधिकार में परिवर्तन करने के लिए यह समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 तक की जाए। इससे प्रदेश की जनता को प्रशासनिक लाभ दिए जा सकेंगे।

जनगणना के चलते सीमाएं सील:

प्रस्तावित जनगणना का काम सितंबर से शुरू होने वाला है, जिसके चलते पूरे देश में प्रशासनिक इकाइयों में बदलाव नहीं हो सकता है। जनगणना निदेशालय के पास राज्य की 50 जिलों का विवरण है और इनके आधार पर जनगणना की प्रक्रिया की जाएगी। भजनलाल सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के लिए विशेष छूट की मांग की है ताकि जिलों का पुनर्गठन किया जा सके।

पंवार कमेटी की रिपोर्ट:

भजनलाल सरकार ने 12 जून को 17 नए जिलों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया था। इसके सहयोग के लिए पूर्व आईएएस ललित के पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने 30 अगस्त को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।

रिपोर्ट के अनुसार, कई छोटे जिले प्रशासनिक दृष्टि से उपयुक्त नहीं हैं और मापदंडों पर खरे नहीं उतरते। हालांकि, कमेटी ने सीधे तौर पर किसी जिले को समाप्त करने की सिफारिश नहीं की, लेकिन तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की है।

45 विधायकों और 5 सांसदों ने दिए सुझाव:

पंवार कमेटी ने जिलों का दौरा करके विभिन्न जनप्रतिनिधियों से सुझाव लिए हैं। इसमें 45 विधायकों, 5 सांसदों, 12 जिला प्रमुखों और 25 प्रधानों ने भी अपनी राय दी। बीजेपी विधायकों ने गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए छोटे जिलों की बाउंड्री पर आपत्तियां जताई हैं और कुछ नए इलाके जोड़ने या हटाने के सुझाव दिए हैं।

कैबिनेट सब कमेटी का अध्ययन जारी:

पंवार कमेटी की रिपोर्ट को अब कैबिनेट सब कमेटी द्वारा अध्ययन किया जा रहा है। सोमवार को कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में इस पर चर्चा हुई और छोटे जिलों को मर्ज करने का सुझाव दिया गया है। पंवार कमेटी को कुछ बिंदुओं पर और जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है।

कैबिनेट सब कमेटी को 200 से अधिक ज्ञापन मिले हैं, जिनमें नए जिलों की मांग और कुछ इलाकों को नए जिलों से बाहर निकालने के अनुरोध शामिल हैं। इन सभी ज्ञापनों पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

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