मनीषा शर्मा। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने विधानसभा उप चुनाव में अकेले लड़ने का बड़ा फैसला किया है। पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है, जिसका राज्य के चुनावी समीकरण पर असर पड़ेगा।
बीएपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने कहा कि पार्टी ने किसी अन्य पार्टी से गठबंधन की कोई चर्चा नहीं की है। “हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे,” उन्होंने कहा। पार्टी ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने का फैसला किया है, जिनमें चौरासी, सलूंबर, दौसा और देवली-उनियारा शामिल हैं। यह फैसला कांग्रेस और बीजेपी के लिए चुनौती होगा। कांग्रेस ने पहले बीएपी का समर्थन किया था, लेकिन गठबंधन नहीं होने की वजह से अब उप चुनाव में नए समीकरण बनने की संभावना है।
बीएपी के अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस को कुछ सीटों पर फायदा हो सकता है, क्योंकि बीजेपी विरोधी वोट दो जगह बंटेगा। हालांकि, पार्टी के दौसा और देवली-उनियारा सीटों पर पहली बार चुनाव लड़ने के फैसले से इन क्षेत्रों में चुनावी समीकरण बदल जाएगा।
बीजेपी का आदिवासी इलाकों में प्रभाव है, और बीएपी के अकेले चुनाव लड़ने से साफ्रन पार्टी को फायदा हो सकता है। हालांकि, बीएपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर मीणा का कहना है कि पार्टी जनता के मुद्दों पर लड़ेगी और जनता का समर्थन प्राप्त करेगी।
कांग्रेस में गठबंधन को लेकर एकमत नहीं है। जबकि कुछ नेता गठबंधन के समर्थक हैं, वहीं कुछ नेता पार्टी को अपने दम पर ही उप चुनाव में जाना चाहते हैं। कांग्रेस ने पहले बीएपी को सलूंबर सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बीएपी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। बीएपी के अकेले चुनाव लड़ने से राज्य के चुनावी समीकरण पर असर पड़ेगा।