शोभना शर्मा । बजट 2025 ने जहां एक ओर मध्यमवर्गीय वर्ग को राहत दी है, वहीं प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री से जुड़ी प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2025 के ज़रिए प्रॉपर्टी सौदों में टैक्स चोरी को रोकने के लिए TDS (Tax Deducted at Source) के नियमों में संशोधन किया है।
इनकम टैक्स विशेषज्ञ सीए सी. कमलेश कुमार (Ravi Rajan & Co LLP, Delhi) के अनुसार, यह बदलाव इस उद्देश्य से किया गया है कि प्रॉपर्टी के बड़े सौदों में फर्जीवाड़ा और टैक्स चोरी पर अंकुश लगे। सरकार चाहती है कि सभी लेनदेन रिकॉर्ड पर रहें और टैक्स देने से कोई बच न पाए।
पहले क्या होता था?
अब तक, यदि कोई प्रॉपर्टी एक से अधिक व्यक्तियों के स्वामित्व में होती थी, और उनके हिस्से में आने वाली राशि ₹50 लाख से कम होती थी, तो TDS नहीं काटा जाता था। उदाहरण के लिए यदि एक ₹70 लाख की प्रॉपर्टी दो लोगों के नाम पर होती और हर किसी को ₹35 लाख मिलते, तो खरीदार TDS नहीं काटते थे। उन्हें लगता था कि चूंकि हर व्यक्ति को ₹50 लाख से कम मिल रहे हैं, इसलिए TDS लागू नहीं होता।
अब क्या बदल गया है?
फाइनेंस एक्ट 2025 के अनुसार, अब इस छूट को हटा दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 से कोई भी प्रॉपर्टी सौदा जिसमें कुल कीमत ₹50 लाख से अधिक है, उस पर पूरे सौदे की राशि पर 1% TDS देना अनिवार्य होगा। यह नियम संयुक्त स्वामित्व वाले मामलों में भी लागू होगा — चाहे विक्रेता दो हों या खरीदार।
उदाहरण से समझें:
अगर मिस्टर ए ने एक प्रॉपर्टी ₹70 लाख में मिस्टर बी और मिसेज बी को बेची, और दोनों ने ₹35-35 लाख दिए —
पहले: कोई TDS नहीं काटा जाता।
अब: ₹70 लाख की पूरी राशि पर 1% TDS कटेगा यानी ₹70,000।
यह नियम कहां लागू नहीं होगा?
यह बदलाव कृषि भूमि (agricultural land) पर लागू नहीं होगा। यानी अगर आप या कोई व्यक्ति कृषि ज़मीन बेचता है, तो वहां पर TDS नहीं लगेगा, भले ही उसकी कीमत ₹50 लाख से अधिक हो।
PAN जरूरी, नहीं तो लगेगा 20% TDS
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि TDS काटने से पहले खरीदार को विक्रेता का PAN नंबर लेना जरूरी होगा। अगर विक्रेता PAN नहीं देता है, तो उस स्थिति में TDS 1% के बजाय 20% तक हो सकता है। साथ ही, बिना PAN के कटे हुए TDS का क्रेडिट भी विक्रेता को नहीं मिलेगा।
दस्तावेज और प्रक्रियाएं
प्रॉपर्टी की बिक्री पर TDS काटते वक्त खरीदार को कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होगा:
TDS फॉर्म 26QB भरकर काटी गई राशि को सरकार के पास जमा करना होगा। यह लेनदेन के 30 दिन के भीतर किया जाना चाहिए।
विक्रेता को फॉर्म 16B (TDS सर्टिफिकेट) देना होगा, जो फॉर्म 26QB भरने के 15 दिन के अंदर जारी करना अनिवार्य है।
अगर विक्रेता NRI है तो?
यदि प्रॉपर्टी बेचने वाला व्यक्ति नॉन-रेजिडेंट (NRI) है, तो उस पर सामान्य 1% TDS नहीं लगेगा। इसकी बजाय TDS की दरें इस प्रकार होंगी:
बिना इंडेक्सेशन के: 12.5%
इंडेक्सेशन के साथ: 20% + सरचार्ज + 4% सेस
इन स्थितियों में TDS सेक्शन 195 के तहत काटा जाएगा और खरीदार को TAN नंबर की आवश्यकता होगी। NRI विक्रेता या खरीदार सेक्शन 197 के तहत कम या शून्य TDS के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्यों लाया गया यह बदलाव?
सरकार का कहना है कि यह बदलाव टैक्स प्रणाली में पारदर्शिता लाने और बड़े प्रॉपर्टी सौदों में टैक्स चोरी रोकने के उद्देश्य से किया गया है। अक्सर देखा गया कि बड़े सौदों में लोगों ने TDS नियमों की आड़ में टैक्स से बचाव किया। अब इस नई व्यवस्था से यह loophole बंद हो जाएगा। सरकार का संदेश साफ है – “टैक्स भरो, देश बनाओ!” — और प्रॉपर्टी लेन-देन करने वाले लोगों को अब ज्यादा सावधान रहना होगा।