शोभना शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले में थप्पड़ कांड को लेकर जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई के लिए उनके समर्थकों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। इस आंदोलन को 29 दिसंबर को टोंक कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन और हाईवे जाम के रूप में अंजाम देने की योजना बनाई गई है। कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल की अगुवाई में समर्थकों ने इस प्रदर्शन को एक ऐतिहासिक आंदोलन बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 1 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। इस आंदोलन से टोंक जिला प्रशासन और खासतौर पर कलेक्टर सौम्या झा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
थप्पड़ कांड और नरेश मीणा की गिरफ्तारी का मामला
टोंक जिले के समरावता गांव में हुए थप्पड़ कांड के बाद 14 नवंबर को नरेश मीणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया, जब घटना के बाद हिंसा भड़क उठी और प्रशासन को भारी दबाव का सामना करना पड़ा। इस दौरान नरेश की दो बार जमानत याचिका खारिज हो चुकी है, जिससे उनके समर्थकों में भारी आक्रोश है। नरेश मीणा के समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी अन्यायपूर्ण है और प्रशासन उन्हें रिहा करने में टालमटोल कर रहा है। इस मुद्दे को लेकर टोंक में पहले भी प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन इस बार का आंदोलन सबसे बड़ा और निर्णायक बताया जा रहा है।
हाईवे जाम और कलेक्ट्रेट प्रदर्शन की चेतावनी
प्रहलाद गुंजल की अगुवाई में समर्थकों ने 29 दिसंबर को टोंक कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन और हाईवे जाम करने की चेतावनी दी है। इस रणनीति को लेकर टोंक सरपंच संघ के अध्यक्ष मुकेश मीणा ने कहा कि यदि प्रशासन ने नरेश की रिहाई के लिए कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत बन जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। अगर प्रशासन से टकराव हुआ, तो हम पूरी ताकत से इसका सामना करेंगे।”
प्रहलाद गुंजल की रणनीति और प्रशासन को चुनौती
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने समर्थकों के साथ बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर को टोंक के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा। इस दौरान हाईवे जाम, कलेक्ट्रेट घेराव और जयपुर में मुख्यमंत्री आवास तक घेराव की योजना बनाई गई है। गुंजल ने प्रशासन को सीधे तौर पर चेतावनी देते हुए कहा, “अगर प्रशासन ने इस आंदोलन को रोकने की कोशिश की, तो जनता का आक्रोश संभालना मुश्किल होगा। यह आंदोलन केवल नरेश की रिहाई के लिए नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ हमारी लड़ाई है।”
सौम्या झा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
टोंक जिले की कलेक्टर सौम्या झा के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। थप्पड़ कांड और उसके बाद हुई हिंसा के दौरान भी सौम्या झा को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। अब 29 दिसंबर को होने वाले इस बड़े आंदोलन को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन भारी पुलिस बल तैनात करने की योजना बना रहा है। हालांकि, समर्थकों के आक्रोश और आंदोलन की व्यापकता को देखते हुए यह दिन टोंक प्रशासन के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
दो बार खारिज हुई जमानत अर्जी
नरेश मीणा की जमानत याचिका पहले ही दो बार खारिज हो चुकी है। 17 दिसंबर को उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। अब इस मामले की सुनवाई 23 दिसंबर को टोंक डीजे कोर्ट में होगी। समर्थकों को उम्मीद है कि इस बार नरेश को राहत मिलेगी, लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ, तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
29 दिसंबर को बड़ा आंदोलन: समर्थकों की तैयारी
नरेश मीणा के समर्थकों ने 29 दिसंबर को टोंक में आंदोलन को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। उनका दावा है कि इस प्रदर्शन में 1 लाख लोग शामिल होंगे। आंदोलन को सफल बनाने के लिए विभिन्न गांवों और समाज के नेताओं को भी इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है। सरपंच संघ के अध्यक्ष मुकेश मीणा ने कहा, “यह आंदोलन प्रशासन के लिए परीक्षा की घड़ी होगी। अगर प्रशासन ने समझौता नहीं किया, तो हम पीछे नहीं हटेंगे।”
प्रशासन की तैयारियां
टोंक प्रशासन ने 29 दिसंबर को संभावित प्रदर्शन को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारी पुलिस बल तैनात किया जा सकता है और आंदोलन स्थलों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
आंदोलन से उठे सवाल
नरेश मीणा की रिहाई को लेकर चल रहा यह विवाद केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बड़ा मुद्दा बन चुका है। आंदोलन की चेतावनी से यह साफ है कि यह मामला केवल टोंक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जयपुर और अन्य इलाकों तक फैल सकता है।