शोभना शर्मा। राजस्थान में 29 जनवरी को 45 हजार से अधिक गांवों के बंद रहने का ऐलान किया गया है। यह निर्णय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट द्वारा लिया गया है, जो किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर एक बड़े आंदोलन का आह्वान कर रहे हैं। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल की खरीद और हर खेत को पानी उपलब्ध कराना है।
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने सीकर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पिछले कई वर्षों से किसान इन मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन अनिश्चितकाल के लिए भी जारी रह सकता है।
29 जनवरी को होने वाले इस गांव बंद आंदोलन में प्रदेश के 45 हजार से अधिक गांव शामिल होंगे। रामपाल जाट ने कहा कि इस दिन गांव का हर व्यक्ति अपने गांव में ही रहेगा और गांव का उत्पादन भी वहीं रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस आंदोलन में हिंसात्मक तरीके से नहीं, बल्कि स्वेच्छा से भाग लिया जाएगा।
आंदोलन के दिन गांव में बस, जीप और ट्रेनें आएंगी, लेकिन कोई भी व्यक्ति इनका उपयोग नहीं करेगा। इसका उद्देश्य यह है कि गांव के लोग अपने उत्पादों को गांव में ही खरीदें, जिससे उन्हें शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन मिल सके। रामपाल जाट ने कहा कि पहले के आंदोलनों में लोगों को अपना काम-धंधा छोड़ना पड़ता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
किसान महापंचायत के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह आंदोलन एक दिन का है, लेकिन यदि सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की, तो वे इसे अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा सकते हैं। इस दौरान कई किसान संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मौजूद थे, जो इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए एकजुट हैं।
किसान महापंचायत का यह आंदोलन न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण है। यह आंदोलन किसानों की आवाज को उठाने का एक प्रयास है, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। रामपाल जाट ने कहा कि यह आंदोलन ब्रह्मास्त्र के रूप में काम करेगा और यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना, तो किसान मजबूरन और कठोर कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
इस आंदोलन के पीछे की मुख्य मांगें हैं: एमएसपी पर फसल की खरीद, हर खेत को पानी, और किसानों की अन्य समस्याओं का समाधान। किसान महापंचायत का यह कदम यह दर्शाता है कि किसान अब अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और वे अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं।
इस आंदोलन का उद्देश्य केवल किसानों की समस्याओं को उजागर करना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से ले और उचित कदम उठाए। किसान महापंचायत का यह आंदोलन राजस्थान के किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।