शोभना शर्मा। राजस्थान के धौलपुर जिले के पूर्व कांग्रेस विधायक और वर्तमान में बीजेपी नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के एक दलित इंजीनियर पर हमले के मामले में राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे, ने उन्हें जमानत देते हुए कुछ कड़ी शर्तें लगाई हैं। यह मामला न केवल राजनीति बल्कि कानूनी स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसमें जातिसूचक गालियों और एससी-एसटी एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे।
क्या है मामला?
28 मार्च 2022 को, राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी क्षेत्र में इंजीनियर हर्षाधिपति पर हुए हमले ने बड़ी सुर्खियां बटोरी थीं। आरोप है कि गिर्राज मलिंगा और उनके सहयोगियों ने अभियंता के कार्यालय में घुसकर कुर्सी से हमला किया और उनके साथ मारपीट की।
क्या थे आरोप?
अभियंता हर्षाधिपति को जातिसूचक गालियां दी गईं।
कुर्सी से हमला कर उन्हें घायल कर दिया गया।
सरकारी कार्यालय में घुसकर मारपीट और उत्पीड़न किया गया।
इस घटना के बाद मलिंगा के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और मारपीट के तहत मामला दर्ज किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में इस मामले में मलिंगा को जमानत देते हुए कड़ी शर्तें लगाईं।
कानूनी प्रक्रियाओं का पालन: मलिंगा को निर्देश दिया गया है कि वह किसी भी प्रकार से जांच या अदालती कार्रवाई में हस्तक्षेप न करें।
आत्मसमर्पण का पालन: 8 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मलिंगा को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। उन्होंने 20 नवंबर 2024 को धौलपुर जिले की एससी-एसटी कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया।
सुरक्षा कारणों से जेल स्थानांतरण: आत्मसमर्पण के बाद उन्हें भरतपुर जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना था?
जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया के तहत अपने अधिकारों का सम्मान पाने का हक है। राजनीतिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।”
गिर्राज सिंह मलिंगा का राजनीतिक सफर
गिर्राज सिंह मलिंगा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। वह धौलपुर जिले की बाड़ी विधानसभा सीट से विधायक रहे। 2022 के विवाद के बाद, कांग्रेस ने मलिंगा से दूरी बना ली। इसके बाद उन्होंने 2023 में बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया, लेकिन वह बसपा उम्मीदवार जसवंत सिंह गुर्जर से हार गए।
इंजीनियर हर्षाधिपति का पक्ष
पीड़ित अभियंता हर्षाधिपति ने आरोप लगाया कि गिर्राज मलिंगा और उनके सहयोगियों ने सरकारी कार्यालय में घुसकर हमला किया। अभियंता का कहना है कि यह हमला जातीय आधार पर किया गया, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि कानूनी और सामाजिक स्तर पर भी गंभीर अपराध है।
इस मामले के कानूनी पहलू
इस मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। यह अधिनियम सामाजिक भेदभाव और अत्याचार को रोकने के लिए बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए मलिंगा को जमानत देते समय यह स्पष्ट किया कि अगर वह कानूनी शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है।
जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
मलिंगा पर लगे आरोपों के बाद कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली। पार्टी ने उन्हें 2023 के चुनावों में टिकट नहीं दिया। बीजेपी में शामिल होने के बाद, पार्टी ने मलिंगा को मौका दिया और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया। हालांकि, चुनावी हार के बाद भी पार्टी ने उनका समर्थन किया।
आम जनता की राय
इस मामले ने जातीय विवादों और राजनीति के आपसी संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है। जनता इस बात को लेकर बंटी हुई है कि क्या यह मामला राजनीतिक साजिश था या वाकई एक गंभीर अपराध।