शोभना शर्मा। बीकानेर जिले के नए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. पुखराज साध ने अपने पदभार ग्रहण के दौरान ऐसा बयान दिया, जिसने उन्हें हंसी का पात्र बना दिया है। उनके अति उत्साह में दिए गए इस बयान के बाद वे न केवल जनता और मीडिया बल्कि विरोधियों के निशाने पर भी आ गए हैं। डॉ. साध ने अपने चयन को परंपरा और राजनीतिक विचारधारा से जोड़ते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति परमपिता परमेश्वर, मां भारती, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा, और जिलाध्यक्षों की मेहरबानी से हुई है। हालांकि, यह बयान उनकी ओर से चापलूसी के रूप में नहीं दिया गया था, लेकिन इसे ऐसा ही समझा जा रहा है।
विरोधियों ने उठाए सवाल
नवनियुक्त सीएमएचओ के इस बयान को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विरोधियों का कहना है कि प्रशासनिक पदों पर चयन के लिए कड़ी मेहनत और योग्यता महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में उनकी नियुक्ति को परमात्मा और नेताओं की कृपा से जोड़ना प्रशासनिक व्यवस्था का मजाक उड़ाने जैसा है। विरोधियों ने तंज कसते हुए कहा कि क्या अब सरकारी पदों पर नियुक्ति के लिए काबिलियत की बजाय राजनीतिक विचारधारा और कृपा ही मुख्य आधार बन गए हैं? इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं तेज हैं।
बयान बना मजाक का कारण
हालांकि, डॉ. पुखराज साध ने इस बयान में कुछ गलत नहीं कहा, लेकिन इसे पेश करने का तरीका उनकी प्रतिष्ठा पर भारी पड़ गया। उनके बयान को कुछ लोग चापलूसी की श्रेणी में रख रहे हैं, तो कुछ इसे अति उत्साह का नतीजा मान रहे हैं। यह बयान अब सार्वजनिक मंचों पर चटखारे लेकर सुना जा रहा है। पद संभालने के तुरंत बाद इस तरह का विवाद खड़ा करना उनके प्रशासनिक करियर के शुरुआती चरण के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा।