मनीषा शर्मा। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो दिग्गज नेता आमने-सामने आ गए हैं। खींवसर विधायक रेवंत राम डांगा के एक पत्र के वायरल होने के बाद भाजपा में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। इस सियासी विवाद के केंद्र में कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा हैं।
कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का बयान
शुक्रवार को जैसलमेर दौरे पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने डॉ. ज्योति मिर्धा द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि बिना सबूत के आरोप लगाना ओछी हरकत है। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी के नेता को ऐसा नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार, आरोप लगाना आसान होता है, लेकिन जब सबूत पेश करने की बात आती है, तो लोग पीछे हट जाते हैं।
उन्होंने कहा, “इंसान इससे ज्यादा घिनौना काम नहीं कर सकता। आरोप लगाने वालों को पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए।”
मंत्री के बेटे धनंजय सिंह खींवसर का भी बयान आया सामने
कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर ने भी डॉ. ज्योति मिर्धा पर निशाना साधा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा:
“गिराने से पहले सोच लेना, गिरा तो मसला बनकर खड़ा हो जाऊंगा।”
उन्होंने नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुई पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा को लेकर तंज कसते हुए कहा,
“नव आगमन, नई उड़ान, पहले समझो, फिर करो गुमान। एक क्षेत्रीय नेत्री को बस सही संदेश, अनुशासन ही संगठन का विशेष आदेश।”
वायरल पत्र और सियासी विवाद की शुरुआत
भाजपा विधायक रेवंत राम डांगा का एक पत्र मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लिखा गया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उनके क्षेत्र में उनके काम नहीं हो रहे, जबकि चुनाव हारने वाले प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल के करीबी लोगों के सारे काम हो रहे हैं।
इस विवाद पर डॉ. ज्योति मिर्धा ने कहा कि पत्र भाजपा के ही एक नेता द्वारा लीक किया गया था, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी उस नेता के खिलाफ एक्शन लेने वाली है। उनका संकेत गजेंद्र सिंह खींवसर की ओर था, जिससे यह विवाद और गहरा गया।
क्या लिखा था विधायक रेवंत राम डांगा के पत्र में?
वायरल पत्र में खींवसर विधायक रेवंत राम डांगा ने अपनी राजनीतिक उपेक्षा की शिकायत करते हुए लिखा था:
“मेरे विधानसभा क्षेत्र खींवसर में मैंने जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिश की थी, उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इसके विपरीत, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को प्राथमिकता दी गई।”
“RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल दोनों पार्टियों में मिलीभगत कर खींवसर और नागौर की राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। यह मुझे कमजोर करने की साजिश है।”
“अगर यही हाल रहा तो भाजपा अगले पंचायत और नगरीय चुनाव में कमजोर हो सकती है।”
राजनीतिक प्रभाव और भाजपा में उथल-पुथल
इस पत्र के वायरल होने के बाद भाजपा में अंदरूनी कलह बढ़ गई है।
कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और डॉ. ज्योति मिर्धा के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने सियासी माहौल गरमा दिया है।
भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी उजागर हो रही है, जिससे पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है।
क्या भाजपा इस विवाद को सुलझा पाएगी?
भाजपा के लिए यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया है। पार्टी नेतृत्व को जल्द ही इस विवाद का हल निकालना होगा, अन्यथा पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में इसका असर दिख सकता है।