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बिना मूलभूत सुविधाओं के प्रॉपर्टी नहीं बेच सकेंगे बिल्डर्स: हाईकोर्ट का फैसला

बिना मूलभूत सुविधाओं के प्रॉपर्टी नहीं बेच सकेंगे बिल्डर्स: हाईकोर्ट का फैसला

शोभना शर्मा।  राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य में अब कोई भी बिल्डर या डेवलपर बिना पानी, बिजली, और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के प्रॉपर्टी नहीं बेच सकेगा। यह निर्णय रेजिडेंशियल कॉलोनियों और सोसाइटी के संदर्भ में लिया गया है। इसके तहत, प्रॉपर्टी बेचने से पहले संबंधित बिल्डरों को शहरी विकास एवं आवास विभाग (यूडीएच) और नगर निगम से प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। यह प्रमाण पत्र इस बात की पुष्टि करेगा कि कॉलोनी या सोसाइटी पूरी तरह रहने योग्य है या नहीं।

जोधपुर के निवासियों की याचिका पर आया फैसला

यह निर्णय उस जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में आया है, जो जोधपुर के सुशांत सिटी के निवासियों ने 2021 में दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि पिछले 20 वर्षों से उन्हें पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं मिली है। इसके बाद हाईकोर्ट ने जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के अधिकारियों को इस समस्या का समाधान करने का आदेश दिया था। लेकिन जब आदेश का पालन नहीं हुआ, तो कोर्ट ने एक बार फिर अधिकारियों को फटकार लगाई और मामले को सख्ती से लेते हुए यह बड़ा निर्णय सुनाया।

बिना मूलभूत सुविधाओं के प्रॉपर्टी बेचना असंभव

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मदन गोपाल व्यास की बेंच ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि अब बिल्डर्स पानी, बिजली, सड़क और अन्य सुविधाओं के बिना कोई भी प्रॉपर्टी नहीं बेच सकेंगे। अदालत ने आदेश दिया कि यूडीएच और नगर निगम पहले पूरी तरह से जांच करेंगे और यह प्रमाण पत्र जारी करेंगे कि कॉलोनी या सोसाइटी में सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। तभी प्रॉपर्टी की बिक्री की अनुमति दी जाएगी।

सर्टिफिकेट के बिना कब्जा नहीं मिलेगा

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सिर्फ प्रॉपर्टी की बिक्री ही नहीं, बल्कि मकान या फ्लैट का पजेशन देने के लिए भी यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि सभी मूलभूत सुविधाएं पूरी हों। जल निकासी, बिजली, और पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ही बिल्डर्स को पजेशन देने की अनुमति दी जाएगी। अगर इन सुविधाओं का अभाव है, तो बिल्डर्स प्रॉपर्टी का कब्जा भी नहीं दे सकेंगे।

विकास प्राधिकरणों की जिम्मेदारी

अदालत ने यूडीएच और राज्य के सभी विकास प्राधिकरणों को यह निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बिल्डर व्यक्तिगत खरीदारों के साथ धोखाधड़ी न करे। विकास प्राधिकरणों की यह जिम्मेदारी होगी कि कॉलोनी या सोसाइटी का निर्माण योजना के अनुसार ही हो। अदालत ने कहा कि यह स्थिति फिर से न बने, जहां बिना पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के हजारों लोग रहने को मजबूर हों। अदालत ने यूडीएच सेक्रेटरी को इस संबंध में निर्देश जारी करने का आदेश दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं न हों।

सुशांत सिटी के 300 लोगों को नहीं मिल रहा था पानी

जोधपुर के झालामंड स्थित सुशांत सिटी के निवासियों ने 2021 में यह याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि वहां रहने वाले लगभग 300 लोग बिना पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं के रह रहे हैं। बिल्डर ने वहां बिना ड्रेनेज सिस्टम और बिजली कनेक्शन के ही प्लॉट और मकान अलॉट कर दिए थे।

एमओयू के बावजूद नहीं मिली सुविधाएं

सुशांत सिटी के मामले में 2008 में जेडीए, पीएचईडी और बिल्डर अंसल प्रॉपर्टी के बीच एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) हुआ था। इसके तहत जेडीए ने एक डिमांड नोट भी जारी किया था, जिसके अनुसार डेवलपर ने 3 करोड़ रुपए जेडीए के पास जमा भी करवाए थे। इसके बावजूद वहां रहने वाले लोगों को पीने का पानी नहीं मिला। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अधिकारियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

अगली सुनवाई महीने के अंत में

हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई इसी महीने के अंत में रखने का फैसला किया है। तब तक यूडीएच और संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉलोनियों और सोसाइटी में सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं या नहीं।

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