मनीषा शर्मा, अजमेर। आनासागर झील के किनारे बने सेवन वंडर्स पार्क को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया। यह निर्माण स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था, लेकिन वेटलैंड नियमों की अनदेखी के चलते इसे हटाने का आदेश जारी हुआ।
कैसे बना था सेवन वंडर्स पार्क?
साल 2016 में अजमेर को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चुना गया था। इसके तहत शहर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न परियोजनाएं शुरू की गईं। वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आनासागर झील के किनारे लगभग एक हेक्टेयर भूमि पर सेवन वंडर्स पार्क का उद्घाटन किया था। इस पार्क में दुनिया के सात अजूबों की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जिसमें स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी, एफिल टॉवर और ताजमहल जैसी संरचनाएं शामिल थीं। अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने इस पार्क को सालाना 87 लाख रुपये के ठेके पर दिया था, जिससे नगर निगम को अच्छी आय हो रही थी।
कैसे शुरू हुआ सेवन वंडर्स का विवाद?
बीजेपी के पूर्व पार्षद अशोक मलिक ने 11 मार्च 2023 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में एक याचिका दायर कर कहा कि सेवन वंडर्स का निर्माण वेटलैंड नियमों का उल्लंघन करता है और इससे झील का पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो रहा है। 11 अगस्त 2023 को NGT की भोपाल बेंच ने आदेश जारी करते हुए सेवन वंडर्स पार्क, गांधी स्मृति उद्यान, फूड कोर्ट और अन्य अवैध निर्माणों को हटाने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की हार
राजस्थान सरकार ने 8 नवंबर 2023 को NGT के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की ओर से कहा गया कि ये निर्माण मास्टर प्लान के अनुरूप हैं और वेटलैंड क्षेत्र से बाहर हैं। 1 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की, लेकिन सरकार को कोई राहत नहीं दी। 17 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और NGT के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया।
निर्माण ध्वस्त होने का असर
पर्यटन पर प्रभाव: सेवन वंडर्स अजमेर का प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका था। इसे देखने के लिए हर दिन हजारों पर्यटक आते थे, लेकिन अब यह आकर्षण खत्म हो गया।
रोजगार पर असर: ई-रिक्शा चालकों और स्थानीय दुकानदारों को बड़ा नुकसान हुआ है। ई-रिक्शा चालक फिरोज के मुताबिक, हर दिन 1 लाख रुपये की कमाई प्रभावित होगी।
सरकारी नुकसान: इस पार्क पर 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो अब व्यर्थ चला गया। इसके अलावा, 87 लाख रुपये वार्षिक का ठेका भी निरस्त हो गया।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
ऑटो चालक नजीम: “यहां पहले बहुत भीड़ हुआ करती थी, जिससे अच्छी कमाई होती थी। अब काम पर असर पड़ेगा।”
पर्यटक जितेंद्र जोशी: “अगर नियमों का उल्लंघन हुआ था तो कार्रवाई सही है, लेकिन इसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए था।”
युवा कांग्रेस: “दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और उनसे निर्माण की लागत वसूली जानी चाहिए।”