शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक सुधारों के दौर में राजधानी जयपुर में भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक ने सुर्खियां बटोरीं। इस बैठक में जहां गहलोत सरकार में बनाए गए 9 नए जिलों और 3 संभागों को समाप्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, वहीं सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका। इस फैसले की प्रतीक्षा कर रहे लाखों युवाओं और परीक्षा से जुड़े विवादित मुद्दों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। कैबिनेट बैठक से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा। SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) और मंत्रिपरिषद की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने परीक्षा रद्द करने की अनुशंसा की थी। इसके बावजूद इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका।
SI भर्ती परीक्षा 2021 पर क्यों नहीं हुआ निर्णय?
राजस्थान सरकार के मंत्री जोगाराम पटेल ने इस मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि SI भर्ती परीक्षा 2021 का मामला फिलहाल कोर्ट के अधीन है। यही कारण है कि सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई। मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ने SIT और मंत्रिपरिषद कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन किया है, लेकिन अदालत की प्रक्रियाओं का सम्मान करते हुए सरकार इस पर कदम उठाने से फिलहाल बच रही है।
SI भर्ती परीक्षा: धांधली और रिपोर्ट की सिफारिशें
2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे थे। परीक्षा के आयोजन के दौरान प्रश्नपत्र लीक, फर्जी अभ्यर्थियों का चयन, और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए। इन आरोपों के मद्देनजर युवाओं और सामाजिक संगठनों ने लंबे समय से इस परीक्षा को रद्द करने की मांग उठाई। मामले की जांच के लिए SIT और मंत्रिपरिषद की एक विशेष कमेटी का गठन किया गया। दोनों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में धांधली की पुष्टि करते हुए परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में भी इस अनुशंसा को दोहराया गया, लेकिन कैबिनेट बैठक में इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
कैबिनेट के अन्य फैसले: 9 जिले और 3 संभाग समाप्त
कैबिनेट बैठक के दौरान सबसे अहम फैसला गहलोत सरकार में बनाए गए 9 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का रहा। सरकार ने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर जिलों को समाप्त कर दिया। साथ ही, बांसवाड़ा, सीकर और पाली संभाग को भी खत्म कर दिया गया। मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में प्रशासनिक लाभ के बजाय राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से नए जिलों और संभागों की घोषणा की थी। भजनलाल सरकार ने इन फैसलों की समीक्षा की और राज्य के वित्तीय और प्रशासनिक ढांचे को संतुलित रखने के लिए यह बड़ा कदम उठाया।
SI भर्ती परीक्षा और युवाओं का भविष्य
SI भर्ती परीक्षा 2021 को लेकर लाखों युवाओं की उम्मीदें इस फैसले से जुड़ी हैं। परीक्षा रद्द होने पर योग्य उम्मीदवारों को दोबारा तैयारी करनी पड़ेगी, वहीं चयनित उम्मीदवारों के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो सकता है। सरकार के इस मामले पर निर्णय न लेने से परीक्षा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। युवाओं में निराशा का माहौल है, और सरकार पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
SIT और मंत्रिपरिषद की रिपोर्ट में क्या था?
SIT और मंत्रिपरिषद की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि परीक्षा में धांधली हुई थी। रिपोर्ट में फर्जी अभ्यर्थियों के चयन, प्रश्नपत्र लीक और परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर खामियों की पुष्टि की गई। इन खामियों के आधार पर गृह मंत्रालय ने परीक्षा को रद्द करने की अनुशंसा की। हालांकि, मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि कोर्ट की सुनवाई पूरी होने के बाद ही सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी।
भजनलाल सरकार का प्रशासनिक संतुलन
भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के कई फैसलों की समीक्षा करते हुए उन्हें बदला है। सरकार का मानना है कि नए जिलों और संभागों का गठन केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था, जो व्यावहारिक दृष्टि से सही नहीं था। इसके विपरीत, SI भर्ती परीक्षा का मुद्दा संवेदनशील है। यह सरकार की पारदर्शिता और युवाओं के भविष्य को प्रभावित करता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
राजस्थान में 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के साथ-साथ SI भर्ती परीक्षा पर निर्णय न लेने का फैसला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से गहरे प्रभाव डाल सकता है। जहां एक ओर सरकार ने प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कदम उठाया है, वहीं SI भर्ती परीक्षा का फैसला लंबित रहने से युवा वर्ग में असंतोष बढ़ सकता है।
भविष्य की चुनौतियां और सरकार का दृष्टिकोण
भजनलाल सरकार को अब दो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना होगा:
- SI भर्ती परीक्षा को लेकर युवाओं की उम्मीदें और न्याय सुनिश्चित करना।
- नए जिलों और संभागों को समाप्त करने के बाद प्रशासनिक संरचना को प्रभावी बनाए रखना।
सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वह पारदर्शिता और न्याय को प्राथमिकता देगी। लेकिन इसे धरातल पर उतारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।