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कलकत्ता हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में हिंसा पर राज्य सरकार को लताड़ा

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में हिंसा पर राज्य सरकार को लताड़ा

शोभना शर्मा। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 14 अगस्त को हुई हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम ने राज्य सरकार और पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने सवाल किया कि जब 7,000 की भीड़ अस्पताल में तोड़फोड़ करने पहुंची, तो पुलिस क्या कर रही थी?

पुलिस की प्रतिक्रिया और कोर्ट की नाराजगी:

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए थे और इस हिंसा में 15 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें एक DCP भी शामिल थे। पुलिस वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई थी। इस पर चीफ जस्टिस शिवगनम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में धारा 144 लगाई जा सकती थी। उन्होंने कहा, “7,000 लोग एकदम से नहीं आ सकते। यह राज्य सरकार की नाकामी का परिणाम है। जब पुलिस खुद को नहीं बचा पा रही है, तो डॉक्टरों को कैसे बचाएगी?”

ये थी घटना:

घटना की शुरुआत 8-9 अगस्त की रात से हुई, जब एक ट्रेनी डॉक्टर का रेप और बर्बर हत्या की गई। पुलिस ने 12 अगस्त को परिवार को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस हत्या की भयानकता का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट्स पर गहरे घाव थे और उनकी चीख को दबाने के लिए आरोपी ने उनकी नाक, मुंह और गले को बेरहमी से दबाया था।

थायराइड कार्टिलेज टूटने के साथ-साथ डॉक्टर के सिर को दीवार से सटाया गया था ताकि वे चिल्ला न सकें। डॉक्टर के पेट, होंठ, उंगलियों और बाएं पैर पर चोटों के निशान मिले, और उनके चश्मे के टूटने के बाद शीशे के टुकड़े उनकी आंखों में घुस गए थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनके प्राइवेट पार्ट्स से 151mg सीमन मिला, जिससे संकेत मिलता है कि यह गैंगरेप हो सकता है।

डॉक्टरों की हड़ताल और विरोध:

ट्रेनी डॉक्टर की इस दर्दनाक हत्या के बाद पूरे देश में डॉक्टरों ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 14 अगस्त को कोलकाता में ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ हिंसक हो गई और आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की। इस घटना के बाद राज्य सरकार और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए।

कलकत्ता हाईकोर्ट का संदेश:

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि ऐसे संवेदनशील मामलों में पुलिस और प्रशासन की सतर्कता आवश्यक है ताकि डॉक्टर निडर होकर काम कर सकें। उन्होंने कहा, “यदि राज्य सरकार और पुलिस अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन नहीं करेंगे, तो इसका असर सीधे जनता पर पड़ेगा।” इस घटना ने न केवल कोलकाता बल्कि पूरे देश को हिला दिया है, और अब सभी की निगाहें अदालत के अगले कदम और राज्य सरकार की कार्रवाई पर हैं।

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