मनीषा शर्मा । राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा तीन संभाग और नौ नए जिलों के गठन को निरस्त करने का निर्णय विवाद का कारण बन गया है। इस फैसले के विरोध में कई जिलों में प्रदर्शन हो रहे हैं, और मामला अब राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंच गया है।
विरोध प्रदर्शनों का बढ़ता स्वरूप
गंगापुर सिटी, सांचौर और शाहपुरा जैसे जिलों में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई, लेकिन सीकर और नीमकाथाना में यह आंदोलन अब बड़े स्तर पर जारी है। सोमवार को नीमकाथाना के रामलीला मैदान में आक्रोश सभा का आयोजन किया गया।
सभा में सांसद अमराराम चौधरी, पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, और कई जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सभा में हजारों लोगों की उपस्थिति ने विरोध को और मजबूती दी। सभा के दौरान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर नीमकाथाना को फिर से जिला और सीकर को संभाग का दर्जा नहीं दिया गया तो रेलवे ट्रैक जाम और विधानसभा घेराव जैसे उग्र कदम उठाए जाएंगे।
प्रमुख नेताओं के बयान
सांसद अमराराम चौधरी ने कहा,
“हम सीकर और नीमकाथाना के अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे। जरूरत पड़ी तो रेलवे ट्रैक जाम करेंगे और विधानसभा तक आंदोलन जारी रहेगा।”
वहीं, विधायक सुरेश मोदी ने 5 फरवरी को जयपुर में विधानसभा घेराव की घोषणा की। सभा में दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह चौधरी, पीसीसी सदस्य बालेंदु सिंह शेखावत, पूर्व विधायक पूरणमल सैनी, और अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए।
गंगापुर सिटी मामला हाईकोर्ट में
गंगापुर सिटी को नया जिला बनाने के फैसले को निरस्त करने पर कांग्रेस विधायक रामकेश मीणा ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि:
- क्या जिलों को निरस्त करने से पहले विवेकपूर्ण निर्णय लिया गया था?
- क्या प्रशासनिक और जनभावनाओं का सम्मान किया गया था?
साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने याचिका दायर करने से पहले सरकार से जानकारी मांगी थी या नहीं। बिना ठोस आधार पर याचिका साबित होने पर कोर्ट ने जुर्माने और याचिका खारिज करने की चेतावनी दी।
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा स्थापित मापदंड
याचिकाकर्ता के वकील सारांश सैनी ने बताया कि गंगापुर सिटी को पूर्ववर्ती सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के तहत जिला घोषित किया गया था।
जिला बनने के बाद कई प्रशासनिक नियुक्तियां और विभागीय कार्य शुरू हो गए थे।
लेकिन वर्तमान सरकार ने राजनीतिक द्वेष के चलते जिले का दर्जा छीन लिया।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव
राजस्थान में जिलों को रद्द करने का यह विवाद प्रशासनिक कार्यक्षमता और जनभावनाओं के बीच संघर्ष का रूप ले चुका है। आंदोलनकारी नेताओं का कहना है कि:
“अगर जनभावनाओं का सम्मान नहीं किया गया, तो यह सरकार के लिए बड़ा संकट बन सकता है।”
सीकर और नीमकाथाना की मांग
सीकर को संभाग और नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग को लेकर शेखावाटी क्षेत्र के आंदोलन ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।