मनीषा शर्मा । राजस्थान के गुजरात सीमा से सटे जिलों में चांदीपुरा वायरस का खतरा बढ़ गया है। हाल ही में डूंगरपुर और उदयपुर क्षेत्रों में पॉजिटिव केस मिलने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, जालोर और सिरोही के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) को अलर्ट जारी किया है। इन जिलों के सीएमएचओ को संदिग्ध क्षेत्रों में लगातार सर्वे और मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में चांदीपुरा वायरस की जांच शुरू हो गई है। अभी तक जयपुर में चार संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच की गई है और सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
स्वास्थ्य विभाग के कार्यवाहक स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस महीने अब तक 13 संदिग्ध मरीजों के सैंपल पुणे भेजे गए हैं, जिनमें से एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पॉजिटिव पाए गए तीन साल के बच्चे का इलाज डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज में चल रहा है और उसकी हालत अब ठीक है। बाकी सैंपल्स की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, जालोर और सिरोही जिलों के सीएमएचओ को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि इन जिलों में वायरस के फैलने की आशंका अधिक है।
जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियांशु माथुर ने बताया कि यह वायरस मुख्य रूप से मच्छर और मक्खी के काटने से फैलता है। गुजरात में इस वायरस के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में इसका खतरा अधिक है। वायरस के लक्षणों में बच्चों को तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और दौरे शामिल हैं।
डॉ. माथुर ने यह भी बताया कि इस वायरस की मृत्यु दर 20 से 40 प्रतिशत के बीच है, जो काफी ज्यादा है। जयपुर में जे.के. लोन हॉस्पिटल में संदिग्ध मरीजों की जांच और मॉनिटरिंग की जा रही है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर प्रोफेसर डॉ. भारती मल्होत्रा ने बताया कि जयपुर के जे.के. लोन हॉस्पिटल से आए चार संदिग्ध मरीजों के सैंपल्स की जांच की गई, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। मरीजों के ब्लड सैंपल के साथ सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) की भी जांच की जाती है।