शोभना शर्मा। हाल ही में लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी में हुए विस्फोट के बाद भारत सरकार सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गई है। भारत में चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित सीसीटीवी कैमरों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे डेटा लीक और सुरक्षा की चिंताएं बढ़ गई हैं। सरकार ने अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है और चीनी सीसीटीवी कैमरों पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है। यह फैसला चीन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
केंद्र सरकार का नया आदेश:
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार अपने आदेश को लागू करने की योजना बना रही है, जिससे चीनी कंपनियों को सीसीटीवी कैमरे बेचने की इजाजत नहीं होगी। यह नीति 8 अक्टूबर को लागू हो सकती है। इसके बाद चीनी कंपनियों जैसे हिकविजन और दहुआ पर प्रभाव पड़ेगा, जो वर्तमान में भारतीय सीसीटीवी बाजार का एक बड़ा हिस्सा हैं।
स्थानीय कंपनियों को मिलेगा फायदा:
सरकार के इस फैसले से भारतीय सीसीटीवी कंपनियों जैसे सीपी प्लस को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत सरकार घरेलू निर्माताओं को बढ़ावा दे रही है। सरकार चाहती है कि सीसीटीवी कैमरे भारत में ही बनाए जाएं, जिससे सुरक्षा में सुधार हो और डेटा लीक का खतरा कम हो सके।
सुरक्षा और डेटा लीक प्रमुख मुद्दे:
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का यह निर्णय मुख्य रूप से डेटा लीक की आशंकाओं पर आधारित है। सीसीटीवी कैमरे संवेदनशील स्थानों पर लगे होते हैं, जिससे सुरक्षा का खतरा बना रहता है। यदि कैमरों से डेटा लीक होता है, तो संवेदनशील जानकारियों के चोरी होने का डर है। इसी कारण सरकार अब सिर्फ उन कंपनियों को सीसीटीवी कैमरे बेचने की अनुमति देगी, जिन पर भरोसा किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ:
भारत अकेला देश नहीं है जो चीनी सीसीटीवी कैमरों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। नवंबर 2022 में अमेरिका ने हिकविजन और दहुआ से जुड़े उपकरणों की बिक्री पर बैन लगाया था। अमेरिका का संघीय संचार आयोग (FCC) ने इन कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित किया था। एफसीसी ने आशंका जताई थी कि इन कंपनियों के उपकरणों का उपयोग चीन अमेरिकी जासूसी के लिए कर सकता है। अब भारत भी इसी दिशा में कदम उठा रहा है, ताकि देश की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
चीनी कंपनियों की बाजार में पकड़:
काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, भारतीय बाजार में वर्तमान में सीपी प्लस, हिकविजन और दहुआ जैसी कंपनियों की 60% से अधिक पकड़ है। जहां सीपी प्लस एक भारतीय कंपनी है, वहीं हिकविजन और दहुआ चीन की प्रमुख कंपनियाँ हैं। चीनी कंपनियों को बाजार से बाहर करने के बाद भारतीय कंपनियों को अपनी तकनीक और आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें और सुरक्षा के मानकों को पूरा कर सकें।
सरकार की योजना और संभावनाएँ:
मार्च और अप्रैल 2023 में सरकार ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें सीसीटीवी कैमरों के निर्माण और सुरक्षा दिशानिर्देशों पर जोर दिया गया था। लेकिन लेबनान में हुई हाल की घटनाओं ने भारत में सीसीटीवी निगरानी नीति को और सख्त कर दिया है। सरकार अब जल्द से जल्द चीनी कंपनियों पर बैन लगाने और भारतीय निर्माताओं को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।