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कांग्रेस में टकराव: टोंक में जिलाध्यक्ष के खिलाफ वरिष्ठ नेताओं की बगावत

कांग्रेस में टकराव: टोंक में जिलाध्यक्ष के खिलाफ वरिष्ठ नेताओं की बगावत

मनीषा शर्मा।  राजस्थान के टोंक जिले में कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह अब खुले तौर पर सामने आ गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और टोंक से विधायक सचिन पायलट के समर्थकों में आपसी मतभेद उभर कर आए हैं। खासतौर पर पार्टी के जिलाध्यक्ष हरिप्रसाद बैरवा के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ मुस्लिम नेता और पार्षदों ने खुलकर विरोध जताया है।

हाल ही में टोंक में हुई कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी की घोषणा के बाद विवाद शुरू हो गया। मुस्लिम समाज के नेताओं का आरोप है कि कार्यकारिणी में वरिष्ठ मुस्लिम कांग्रेसियों की अनदेखी की गई है और भाजपा से जुड़े रहे लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया। इस कारण मुस्लिम नेताओं ने पायलट से मुस्लिम जिलाध्यक्ष की मांग की है और तीन दिन का अल्टीमेटम भी दिया है।

कांग्रेस अल्पसंख्यक टोंक के जिलाध्यक्ष और पार्षद युसूफ इंजीनियर ने सचिन पायलट पर आरोप लगाया कि वे मुस्लिम समाज की आवाज विधानसभा में नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पायलट को मुस्लिमों के हक की आवाज उठाने के लिए चुना गया था, लेकिन उनकी अनदेखी की जा रही है।

पार्षद युसूफ इंजीनियर और अन्य मुस्लिम नेताओं ने पायलट पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी करीबी टीम में उन लोगों को शामिल किया है, जो पहले भाजपा के साथ थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ संबंध रखने वाले कुछ लोग पार्टी में अहम पदों पर काबिज हैं, जबकि पुराने और सच्चे कांग्रेसी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्षद अशरफ गुज के घर पर हुई बैठक में कई मुस्लिम पार्षदों और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने भाग लिया। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी नेतृत्व से उचित कार्रवाई की मांग की है। नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे धरना और अनशन पर बैठेंगे।

अगले कुछ महीनों में राज्य में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट भी शामिल है। इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जहां कांग्रेस अपने गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए संगठन को मजबूत कर रही है, वहीं भाजपा ने अपने जिलाध्यक्ष से लेकर विधायकों और मंत्रियों को भी मैदान में उतार दिया है।

टोंक की राजनीति में यह कलह आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस की स्थिति पर असर डाल सकती है। पार्टी नेताओं को एकजुट रखने का प्रयास कर रही है, लेकिन आंतरिक मतभेदों की वजह से यह मुश्किल नजर आ रहा है। कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने साफ किया है कि उनका विरोध हरिप्रसाद बैरवा की नियुक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि वे पार्टी में मुस्लिम नेतृत्व की मांग कर रहे हैं।

वरिष्ठ नेता युसूफ इंजीनियर ने कहा, “हम पायलट साहब से मिलने वाले हैं और अपनी मांगें रखेंगे। अगर हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो मजबूरन हमें विरोध के कदम उठाने होंगे। हमें उम्मीद है कि पायलट साहब हमारी बात सुनेंगे और उचित निर्णय लेंगे।”

कांग्रेस के अंदरूनी टकराव को भाजपा के लिए एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के अंदर फूट से उन्हें फायदा हो सकता है, खासकर देवली-उनियारा उपचुनाव में। भाजपा कांग्रेस की आंतरिक कलह को उभारने और उसका लाभ उठाने का प्रयास कर सकती है।

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