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सीएम भजनलाल शर्मा बोले: “पैसा तो उड़ रहा, पकड़ने वाला चाहिए”

सीएम भजनलाल शर्मा बोले: “पैसा तो उड़ रहा, पकड़ने वाला चाहिए”

मनीषा शर्मा।  जयपुर के मानसरोवर में स्थित शिप्रा पथ ग्राउंड में आयोजित सरपंच संघ के सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक जोशीला भाषण दिया, जिसमें उन्होंने न केवल अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया, बल्कि राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा वार भी किया। उनके अनुसार, “पैसा तो उड़ रहा है, पकड़ने वाला चाहिए” – यह बयान उन चुनौतियों की ओर इशारा करता है जहाँ संसाधनों का उपयोग सही हाथों में होने पर ही लाभदायक हो सकता है। शर्मा ने यह भी कहा कि चाहे कोई भी पद हासिल कर ले, “सरपंच से बड़ा कोई नहीं” क्योंकि सरपंच वह जनप्रतिनिधि है, जिसे स्थानीय स्तर पर सच्ची शक्ति और अधिकार प्राप्त हैं।

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में बताया कि राजस्थान के विकास के लिए उनकी सरकार ने एक मजबूत रोडमैप तैयार किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजस्थान के किसान को खेत में पानी मिलने से यह धरती मां सोना उगाने लगेगी। इसी दिशा में उन्होंने ERCP, यमुना जल योजना और IGNP जैसी परियोजनाओं पर काम शुरू करने का उल्लेख किया। खासकर ERCP की योजना, जिसे मूर्त रूप देकर प्रधानमंत्री ने 17 दिसंबर को उद्घाटित किया, यह दर्शाती है कि सरकार ने सबसे पहले पानी की समस्या को हल करने में कदम रखा है। शर्मा ने कहा कि पहले किसान और ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या पानी की थी, जिसे उन्होंने दूर कर दिया है ताकि विकास की नई दिशा में काम किया जा सके।

भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने विरोधियों को चुनौती भी दी। उन्होंने कहा कि “हमारे विरोधी जो कहते हैं, वही करके दिखाएंगे” जबकि वे सिर्फ बातें करते रहते हैं। शर्मा ने यह उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी सरकार ने एक लाख नौकरियां देने का वादा किया था, जिसमें से अब तक 60 हजार नियुक्ति पत्र वितरित कर दिए गए हैं और 15 हजार और देने की योजना है, जिससे कुल संख्या 75 हजार हो जाएगी। उन्होंने अपने बजट और विभिन्न क्षेत्रों में निकली 81,000 वैकेंसी का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि उनके सरकार के वादों को केवल शब्दों में सीमित नहीं रखा गया, बल्कि कार्रवाई के रूप में पेश किया गया है।

कांग्रेस सरकार की पिछली विफलताओं पर भी उन्होंने कटाक्ष किया। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार किसान सम्मान निधि में नाम जोड़वाने के लिए केंद्र को नाम तक नहीं भेज पाई, जिसके कारण किसानों को वह सहायता नहीं मिल सकी। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, जबकि उनकी सरकार ने आते ही 7.50 लाख किसानों के नाम जोड़कर उन्हें किसान सम्मान निधि दिलवाई। इस तरह की उपलब्धियां न केवल ग्रामीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि जब बात वास्तविक कार्यवाही की हो तो उनके शासन में जनता का साथ मिलता है।

भजनलाल शर्मा ने अपने भाषण में अपने अतीत की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि पहले जब वे स्वयं सरपंच थे, तब उन्हें विकास की डोर समझ में आती थी। उन्होंने कहा कि चाहे दिल्ली से आए नेता हों या जयपुर के स्थानीय, विकास की असली चाबी जनता ही है। उन्होंने अपने सरपंच के दिनों को याद करते हुए कहा कि उस समय का उत्साह और जिम्मेदारी आज भी उन्हें प्रेरणा देती है। जब वे गांव जाते हैं, तो ग्रामीण उन्हें “सरपंच भैया” कहकर संबोधित करते हैं, जिससे उन्हें यह अहसास होता है कि सरपंच होना एक ऐसा गौरवपूर्ण पद है जिसे कभी कम आंकना नहीं चाहिए।

शर्मा ने जोर देते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों में सबसे बड़ा अधिकार वही है जो सरपंच के पास होता है। उन्होंने यह बात रेखांकित की कि चेक पर साइन करने का अधिकार, जो कि एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक शक्ति का प्रतीक है, केवल सरपंच को प्राप्त होता है। उनकी इस बात से यह संदेश जाता है कि जब तक स्थानीय स्तर पर सशक्त नेतृत्व नहीं होगा, तब तक बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोग भी जनता की असली जरूरतों को समझ नहीं पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरपंच ही वह कड़ी है जो न केवल गांव की समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि विकास के नए अध्याय भी लिखता है।

इस प्रकार, उनके भाषण में दो महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए। पहला, उन्होंने अपने विरोधियों को यह चुनौती दी कि वे सिर्फ वादे न करें, बल्कि उन्हें अंजाम भी दें। दूसरा, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार के शासन में किसान और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करने में कितनी विफलता रही, जबकि उनकी सरकार ने तुरंत ही आवश्यक कदम उठाए। उनके अनुसार, जब तक एक सशक्त और सक्षम सरपंच नहीं होगा, तब तक विकास की राह पर बढ़ना मुश्किल है।

मुख्यमंत्री के इन शब्दों ने न केवल समारोह में उपस्थित लोगों के दिलों को छू लिया, बल्कि ग्रामीणों में भी एक नई उमंग और आत्मविश्वास का संचार किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास के लिए स्थानीय स्तर पर सक्रिय सहभागिता और नेतृत्व आवश्यक है। उन्होंने यह भी समझाया कि सरकारी योजनाओं की सफलता का मूल आधार ही लोगों के बीच जुड़ाव और विश्वास है। यदि वह विश्वास बना रहे तो राजस्थान में हर समस्या का समाधान संभव है।

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