मनीषा शर्मा। राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू किए गए इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर विवाद गहराता जा रहा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की मंशा और फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे बच्चों के जीवन से खिलवाड़ बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने केवल वाहवाही लूटने के लिए यह कदम उठाया था, जिसमें न तो इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था थी और न ही शिक्षकों की।
अव्यवहारिक व्यवस्था और बच्चों का भविष्य
मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस ने बिना सोच-विचार के हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने का फैसला किया। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हिंदी मीडियम स्कूलों को बंद कर दिया गया और उन्हें इंग्लिश मीडियम बना दिया गया, जो पूरी तरह अव्यवहारिक था।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बच्चों का आधार मजबूत करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। न तो पहली कक्षा से अंग्रेजी सिखाने की व्यवस्था की गई, न ही ग्रामर और शब्दावली पर ध्यान दिया गया। ऐसे में हिंदी मीडियम के बच्चे अंग्रेजी किताबों को समझ नहीं पा रहे हैं, जिससे वे निराशा का शिकार हो रहे हैं।
समीक्षा कमेटी का गठन
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए समीक्षा कमेटी का गठन किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि बच्चों का ग्राउंडवर्क मजबूत किया जाए। इस कमेटी में यह देखा जाएगा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को कैसे पूरा किया जाए और स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए।
मदन राठौड़ ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार कांग्रेस के फैसले की जांच करवाकर बच्चों का बेहतर आधार तैयार करने का काम करेगी।
गोविंद सिंह डोटासरा का पलटवार
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने वाली कमेटी में शामिल डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को बीच में ही हटाया गया था।
डोटासरा ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के कई नेता, जो अब इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं, खुद अपने क्षेत्रों में इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें अपनी कुर्सी बचाने की समीक्षा करनी चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत
राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था को लेकर यह विवाद केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या राज्य सरकारें बच्चों की शिक्षा को लेकर दीर्घकालिक और व्यवहारिक नीतियां बना पा रही हैं?
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में कोई ठोस काम नहीं किया और केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदल दिया। वहीं, कांग्रेस का दावा है कि उन्होंने बच्चों को आधुनिक शिक्षा के लिए तैयार करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया था।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का संकट
ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने का निर्णय ग्रामीण छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। जो बच्चे हिंदी माध्यम में पढ़ाई कर रहे थे, वे अचानक से इंग्लिश मीडियम में स्विच करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।
इससे छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों में भी असंतोष बढ़ा है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव तब तक प्रभावी नहीं हो सकता, जब तक बच्चों को सही दिशा में प्रशिक्षित नहीं किया जाता।