शोभना शर्मा। राजस्थान में हाल ही में आयोजित ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट’ को लेकर राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा हुआ है। जहां राज्य सरकार इसे ऐतिहासिक सफलता मान रही है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस आयोजन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह समिट महज दिखावा था, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश करना और जनता को गुमराह करना था।
समिट में 35 लाख करोड़ रुपये के करारों का दावा
राज्य सरकार ने दावा किया कि इस तीन दिवसीय समिट में विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों के साथ 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समिट का उद्घाटन 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह आंकड़ा पूरी तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और इसका कोई वास्तविक आधार नहीं है।
डोटासरा ने लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा सरकार ने छोटे कॉलेजों और मामूली फर्मों के साथ एमओयू कर निवेश के आंकड़े बढ़ाए हैं। डोटासरा ने इसे “प्रधानमंत्री को खुश करने की कोशिश” और “राजस्थान की जनता को गुमराह करने” का प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सम्मेलन केवल उद्योगपतियों को मुफ्त में जमीन देने का माध्यम था। राज्य की संपदा को लूटने की इजाजत हम नहीं देंगे।”
कानून-व्यवस्था पर भी साधा निशाना
डोटासरा ने समिट के अलावा राज्य की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार प्रशासनिक मामलों में असफल रही है। डोटासरा ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अपनी पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सिर्फ विप्र समाज को पत्र भेजकर अन्य समाजों की अनदेखी की।
छोटे निवेशकों से एमओयू का दावा
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार के 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश दावे पर तंज कसते हुए कहा कि 25 लाख रुपये की मार्केट वैल्यू वाली कंपनियों के साथ 1,000 करोड़ रुपये के एमओयू किए गए हैं। जूली ने कहा, “सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन कंपनियों ने कितने राशि के एमओयू किए और उन कंपनियों का वास्तविक मूल्यांकन क्या है।”
रोजगार सृजन और विनिर्माण क्षेत्र की अनदेखी
कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने आरोप लगाया कि समिट में रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षेत्र की अनदेखी की गई और सौर ऊर्जा क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने से राज्य को कोई प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ नहीं होगा और इसका फायदा केवल उद्योगपतियों को होगा।
सरकार की उपलब्धियों पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर जारी फिल्म पर भी निशाना साधा। उन्होंने इसे “पर्ची की सरकार” बताते हुए कहा कि इसमें अपराध और अन्य समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है। डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सड़क से सदन तक भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध करेगी।
समिट की पारदर्शिता पर कांग्रेस की मांग
कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार से समिट में हुए समझौतों का पूरा विवरण सार्वजनिक करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि जिन कंपनियों के साथ समझौते हुए हैं, उनकी वित्तीय स्थिति और परियोजनाओं की प्रामाणिकता क्या है।
सौर ऊर्जा के बढ़ते प्रभाव पर चिंताएं
कांग्रेस ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुए समझौतों को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं से राज्य को दीर्घकालिक लाभ नहीं होगा और यह केवल बड़े उद्योगपतियों के हितों की पूर्ति करेगा।
समिट के उद्देश्य पर सवाल
कांग्रेस का कहना है कि ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट’ का मुख्य उद्देश्य जनता के लिए रोजगार और राज्य के विकास को बढ़ावा देना होना चाहिए था। लेकिन सरकार ने इसे केवल अपनी छवि सुधारने और प्रधानमंत्री की प्रशंसा पाने के लिए आयोजित किया।
जनता को गुमराह करने का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह समिट केवल एक दिखावा था। डोटासरा ने कहा कि यह आयोजन उद्योगपतियों को सरकारी संसाधनों तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने का एक प्रयास था।
कांग्रेस का आगामी रणनीति
कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे को लेकर आने वाले दिनों में सड़क से सदन तक विरोध करेगी। उन्होंने राज्य सरकार पर “जनता की संपत्ति की लूट” करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस राजस्थान के लोगों के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।