मनीषा शर्मा। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की ओर से जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा पर 10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। यह मामला 2016 का है, जब जोधपुर निवासी डॉ. सुरेंद्र माथुर, उनकी पत्नी नीना माथुर और उनके बेटे सिद्धार्थ माथुर को अटलांटा (जॉर्जिया, अमेरिका) यात्रा के लिए टिकट बुकिंग करने के बावजूद एयरलाइंस के कर्मचारियों द्वारा यात्रा से रोक दिया गया। एयरलाइंस के स्टाफ ने नीना माथुर के पासपोर्ट का कवर डैमेज बताकर उन्हें फ्लाइट में चढ़ने नहीं दिया। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने राज्य उपभोक्ता आयोग में न्याय के लिए आवेदन दायर किया और इसके परिणामस्वरूप एयरलाइंस पर जुर्माना लगाया गया।
घटना का विवरण
एडवोकेट देवीलाल आर. व्यास ने बताया कि यह घटना 2016 में घटी थी, जब डॉ. माथुर अपने परिवार के साथ अटलांटा यात्रा पर जाने की तैयारी में थे। उनकी बुक की हुई टिकट का मूल्य ₹2,86,505 था और उन्होंने यह टिकट लुफ्थांसा एयरलाइंस से बुक की थी। डॉ. माथुर और उनके परिवार के पास तीन देशों (यूएसए, यूके और मेक्सिको) के वीजा उपलब्ध थे। सभी दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें एयरपोर्ट में प्रवेश भी दे दिया गया था।
एयरलाइंस का दावा और यात्री का पक्ष
जोधपुर के एडवोकेट देवीलाल आर. व्यास ने परिवाद में आरोप लगाया कि लुफ्थांसा एयरलाइंस के कर्मचारियों ने पासपोर्ट का कवर डैमेज होने का कारण बताया और उन्हें फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया। परिवाद में यह भी दावा किया गया कि एयरपोर्ट सुरक्षा एजेंसी ने सभी दस्तावेजों की गहन जांच की थी और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई थी। इसके बावजूद एयरलाइंस स्टाफ ने उन्हें फ्लाइट में चढ़ने से रोका, जिससे उनका पूरा यात्रा कार्यक्रम प्रभावित हुआ।
उपभोक्ता आयोग का निर्णय
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इस मामले की सुनवाई की और यह मानते हुए कि एयरलाइंस की गलती के कारण यात्रियों को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक हानि हुई, लुफ्थांसा एयरलाइंस पर ₹10 लाख का जुर्माना और परिवाद व्यय के रूप में ₹50,000 का अतिरिक्त भुगतान करने का आदेश दिया। इसके अलावा, आयोग ने लुफ्थांसा को टिकट का ₹2,86,505 मूल्य और 2016 से लेकर अब तक 9% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाने का भी निर्देश दिया है।
इस निर्णय का महत्व
यह निर्णय भारतीय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उदाहरण स्थापित करता है कि अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस भी उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करने पर जवाबदेह होंगी। इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उपभोक्ताओं के साथ व्यवहार में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उपभोक्ता आयोग का बयान
राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य अतुल कुमार चटर्जी और संजय टाक ने अपने निर्णय में बताया कि इस घटना में एयरलाइंस का रवैया गैर-जिम्मेदाराना था। आयोग ने कहा कि जब सुरक्षा एजेंसियों ने दस्तावेजों को पास कर दिया था, तो एयरलाइंस का उन्हें रोकने का कोई उचित आधार नहीं था।
एयरलाइंस का पक्ष
लुफ्थांसा एयरलाइंस ने इस मामले में किसी प्रकार का आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उन्होंने आयोग के आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही एयरलाइंस ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में अपने कर्मचारियों को बेहतर प्रशिक्षण देने का संकेत दिया है।
उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा का एक बड़ा कदम
इस मामले का निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक उदाहरण है कि यदि किसी भी उपभोक्ता को उसकी यात्रा में अनुचित रूप से रोका जाता है या उसके साथ अनुचित व्यवहार होता है, तो उपभोक्ता को न्याय पाने का अधिकार है। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का यह फैसला एयरलाइंस और अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक सख्त चेतावनी है कि वे उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।