शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। नेताओं द्वारा प्रशासन और विरोधियों को निशाना बनाने के लिए बयानबाजी की घटनाएं आम हो गई हैं। हाल ही में हनुमानगढ़ के संगरिया से विधायक और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया का बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ उकसाने वाली टिप्पणी की।
क्या कहा था विधायक ने?
राजस्थान के बाड़मेर जिले में एनएसयूआई के “नशा नहीं, नौकरी दो” कार्यक्रम के दौरान अभिमन्यु पूनिया ने कहा, “अगर कोई अधिकारी काम नहीं करता तो ठोक लिया करो।” उनके इस बयान ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी। बयान को लेकर विरोध बढ़ा, और इसके खिलाफ जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने सख्त रुख अपनाया।
आईजी का बयान और कार्रवाई
विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने कहा, “अगर किसी व्यक्ति को किसी अधिकारी से कोई शिकायत है, तो लोकतंत्र में अपने विचार व्यक्त करने के लिए सभी दरवाजे खुले हैं। लेकिन कानून अपने हाथ में लेना किसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।” आईजी ने बाड़मेर एसपी को मामले की जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद पुलिस ने विधायक पूनिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
विपक्ष का हमलावर रुख
विधायक अभिमन्यु पूनिया के इस बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बयान न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि युवाओं को कानून तोड़ने के लिए उकसाने का प्रयास है। भाजपा प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस की “अराजकता फैलाने की राजनीति” करार दिया। फिलहाल, विधायक अभिमन्यु पूनिया की ओर से इस बयान पर कोई सफाई या प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि पूनिया का उद्देश्य केवल प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदारी के प्रति सचेत करना था।
राजस्थान में चुनावी माहौल के बीच इस बयान ने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है। कांग्रेस पार्टी इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि भाजपा इसे जनता के बीच मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे बयानों को गंभीरता से लिया जाएगा। अधिकारियों को धमकाने या कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बयान से उपजे सवाल
विधायक के बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं:
- क्या नेताओं को जनता को उकसाने वाले बयान देने का हक है?
- प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी देना कानून और लोकतंत्र का उल्लंघन है या नहीं?
- ऐसे बयानों का युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
अभिमन्यु पूनिया के विवादित बयान ने राजस्थान की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला प्रशासन, विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच एक नई बहस को जन्म दे रहा है। पुलिस की कार्रवाई ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।