शोभना शर्मा। फिल्म पुष्पा 2 को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। फिल्म में शेखावत नाम के एक व्यक्ति को नेगेटिव किरदार में दिखाए जाने से राजपूत समाज में भारी नाराजगी है। महाराव शेखा जनकल्याण फाउंडेशन के संयोजक ठाकुर मनोहर सिंह घोड़ीवारा ने फिल्म निर्माता पर समाज की छवि खराब करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले में सख्त कदम उठाने और निर्माता को सबक सिखाने की धमकी दी है।
ठाकुर मनोहर सिंह का कहना है कि बार-बार फिल्मों में राजपूत समाज को नेगेटिव रूप में दिखाकर समाज की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा, “फिल्म पुष्पा 2 में एक बार फिर शेखावत नाम के व्यक्ति को नेगेटिव रोल में दिखाया गया है, जो राजपूत समाज के अपमान के समान है। यह समाज के गौरव और महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ने वाले राजपूतों की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।”
संयोजक ने यह भी कहा कि फिल्म निर्माता या निर्देशक का बार-बार राजपूत समाज को टारगेट करना बिल्कुल गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा आगे भी जारी रहा तो निर्माताओं को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने यह भी अपील की कि समाज के लोग इस तरह की फिल्मों के विरोध में एकजुट हों और निर्माताओं को यह समझाने की जरूरत है कि ऐसा करना समाज के लिए हानिकारक है।
समाज पर प्रभाव:
ठाकुर मनोहर सिंह ने बताया कि फिल्मों में इस तरह की प्रस्तुति से समाज की नई पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। युवा वर्ग समाज को वैसा ही समझने लगता है जैसा कि बड़े पर्दे पर दिखाया जाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “समाज के लिए यह बेहद जरूरी है कि उसका सही चेहरा प्रस्तुत किया जाए। राजपूत समाज अपनी मान-मर्यादा, गौरव और त्याग के लिए जाना जाता है, लेकिन इस तरह की फिल्मों से यह छवि धूमिल हो रही है।”
आंदोलन की चेतावनी:
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाज अब ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने राजपूत समाज के लोगों से अपील की कि वे एकजुट होकर इस तरह की फिल्मों का बहिष्कार करें। “समय आ गया है कि ऐसे निर्माताओं को सबक सिखाया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी समाज की छवि को गलत तरीके से दिखाने की हिम्मत न कर सके।”
फिल्म पुष्पा 2 का यह विवाद निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। इससे पहले भी फिल्मों में समाजों की छवि को लेकर इस तरह के विवाद सामने आते रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्माता इस विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और समाज के आक्रोश को कैसे संभालते हैं।