मनीषा शर्मा। रविवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा आयोजित राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) परीक्षा के दौरान जोधपुर सेंटर पर सिख युवती से कृपाण और प्रतीक उतारने का मामला विवाद का कारण बन गया है। जोधपुर के शिकारगढ़ स्थित पीएलवी कॉलेज में परीक्षा देने आई जालंधर निवासी एडवोकेट अरमानजोत कौर को कृपाण पहनकर एग्जाम सेंटर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। जब उन्होंने कृपाण उतारने से मना किया, तो उन्हें परीक्षा देने नहीं दिया गया।
इस घटना को लेकर अरमानजोत कौर के पिता बलजीत सिंह ने कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी राजस्थान न्यायिक सेवा के लिए प्रतियोगी परीक्षा देने आई थी, लेकिन अधिकारियों ने उसे कृपाण उतारने के लिए कहा, जिससे उसे परीक्षा देने से वंचित रहना पड़ा। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में याचिका दायर की गई है।
अमृतसर के शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने इस घटना को देश के संविधान का बड़ा उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा कि सिखों को कृपाण धारण करने का अधिकार है और अधिकारियों की मनमानी कार्रवाई से एक लड़की का भविष्य दांव पर लग गया है। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
धामी ने यह भी कहा कि सिख मर्यादा के अनुसार कोई भी अमृतधारी सिख पांच ककारों को अपने शरीर से अलग नहीं कर सकता। पिछले कुछ समय से सिख अभ्यर्थियों को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जहां उन्हें अपने धार्मिक प्रतीकों को हटाने के लिए कहा जाता है। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और अरमानजोत कौर का पुनः परीक्षा आयोजित करने की मांग की है।
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी इस घटना का विरोध किया और इसे सिख धर्म के प्रति आक्रोश बताया। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री से अरमानजोत कौर को परीक्षा में बैठने का विशेष मौका देने की मांग की। रविवार को राजस्थान के जोधपुर और जयपुर के 222 केंद्रों पर RJS प्रारम्भिक परीक्षा का आयोजन हुआ था, जिसमें पंजाब और हरियाणा से कई सिख कैंडिडेट्स ने हिस्सा लिया। ऐसे में अन्य केंद्रों पर भी सिख कैंडिडेट्स के साथ इसी तरह के मामले सामने आए हैं।