मनीषा शर्मा। राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र अपनी समृद्ध परंपराओं और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसी कड़ी में, 25 नवंबर 2024 को चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में विश्वराज सिंह का राजतिलक समारोह आयोजित किया जाएगा। उन्हें मेवाड़ रियासत के 77वें महाराणा के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा।
यह आयोजन पारंपरिक रूप से सुबह 10 बजे शुरू होगा और इसमें पूर्व रियासतों के प्रतिनिधियों, राजपूत समाज और अन्य समुदायों के लोगों का भाग लेना तय है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम एक ओर मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है, तो दूसरी ओर लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थकों के लिए एक बहस का मुद्दा बन गया है।
सोशल मीडिया पर इस आयोजन को लेकर व्यापक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक ओर राजपूत समाज इस पर गर्व व्यक्त कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे लोकतंत्र के खिलाफ मानते हुए आलोचना कर रहे हैं।
भरतपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध डी. ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“गढ़ ठाकुर का, पंडित ठाकुर का, मेहमान ठाकुर के, सारा खर्चा ठाकुर का, राजतिलक ठाकुर का। इस पर आपत्ति क्यों?”
यह बयान राजपूत समाज के सदस्यों और संगठनों के समर्थन को दर्शाता है।दूसरी ओर, BAP के प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र मीणा ने ट्वीट कर आयोजन की आलोचना की:
“रजवाड़े खत्म हो गए हैं। देश संविधान से चलेगा। इस तरह के आयोजन बंद होने चाहिए।”
मंडल आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. विवेक भाटी और अन्य सामाजिक संगठनों ने इसे गैर-जरूरी परंपरा बताते हुए विरोध जताया।
कार्यक्रम की रूपरेखा
राजतिलक समारोह की तैयारियां चित्तौड़ के पूर्व विधायक रणधीर भीडर देख रहे हैं।
कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- प्रारंभिक आयोजन:
- चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में सुबह 10 बजे राजतिलक होगा।
- सलूंबर के पूर्व राव देवव्रत सिंह, विश्वराज सिंह का तिलक करेंगे।
- 22 पूर्व उमरावों और आमंत्रित मेहमानों के साथ सर्व समाज के लोग नजराना पेश करेंगे।
- धार्मिक अनुष्ठान:
- शाम को विश्वराज सिंह उदयपुर में सिटी पैलेस पहुंचेंगे।
- धुणी माता और एकलिंगजी के दर्शन करेंगे।
- सिटी पैलेस में उन्हें “रंगीन पाग” (राजकीय पगड़ी) पहनाई जाएगी।
- पारंपरिक रस्में:
- दिवंगत महाराणा महेंद्र सिंह के परिवार के सदस्यों की उपस्थिति संभावित है।
- राजपरिवार के बीच संपत्ति विवाद के बावजूद आयोजन के सफल होने की उम्मीद है।
राजशाही बनाम लोकतंत्र का मुद्दा
इस आयोजन ने राजतंत्र और लोकतंत्र की विचारधाराओं के बीच बहस को जन्म दिया है।
कुछ प्रमुख तर्क:
- समर्थकों का पक्ष:
- यह आयोजन मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है।
- राजपूत समाज के लिए गर्व का क्षण है।
- विरोधियों का पक्ष:
- यह संविधान के अनुच्छेद 13 और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
- राजतिलक का मतलब जनता पर श्रेष्ठता दिखाने जैसा है।
ऐतिहासिक परंपराओं और वर्तमान विवादों का संगम
मेवाड़ के 77वें महाराणा का राजतिलक ऐतिहासिक परंपराओं और वर्तमान समय की बदलती संवेदनाओं के बीच हो रहा है।
एक ओर यह आयोजन मेवाड़ की ऐतिहासिक पहचान को संजोने का प्रयास है, तो दूसरी ओर यह लोकतांत्रिक समाज में सामंती परंपराओं के स्थान पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।