शोभना शर्मा। जयपुर जिले की एडीजे-4 अदालत ने एक महत्वपूर्ण मामले में सीएम भजनलाल शर्मा के खिलाफ दाखिल एक प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। इस प्रार्थना पत्र में मुख्यमंत्री द्वारा बिना अनुमति के विदेश यात्रा पर जाने के कारण उनकी अग्रिम जमानत रद्द करने की अपील की गई थी। यह प्रार्थना पत्र सांवरमल चौधरी द्वारा पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि गोपालगढ़ दंगा मामले में आरोपित सीएम भजनलाल शर्मा की अग्रिम जमानत को रद्द किया जाए। हालाँकि, अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया, क्योंकि प्रार्थी का इस मामले में कोई प्रत्यक्ष हित नहीं था।
अदालत का आदेश:
एडीजे-4 न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि प्रार्थी, सांवरमल चौधरी, इस मामले में पीड़ित नहीं हैं और उन्हें इससे कोई हानि नहीं हुई है। इसलिए, इस आधार पर उनका प्रार्थना पत्र अस्वीकार्य है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा लगाए गए प्रार्थना पत्र की पोषणीयता तभी होती है, जब उससे सीधे प्रभावित होने का प्रमाण हो। इस प्रकरण में ऐसा कोई प्रमाण न मिलने पर अदालत ने प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री के अधिवक्ता का पक्ष:
सीएम भजनलाल शर्मा की ओर से अधिवक्ता अश्विनी बोहरा ने अदालत में इस प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी एक निजी व्यक्ति हैं, जिन्हें इस मामले में कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं हुआ है। अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि चौधरी इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ नहीं है, इसलिए उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मामले की पृष्ठभूमि:
गोपालगढ़ दंगा मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अग्रिम जमानत पर हैं। अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत देते समय यह शर्त लगाई थी कि वे विदेश यात्रा पर जाने से पहले अदालत से अनुमति लेंगे। इस मामले में, सीएम ने बिना अनुमति के दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा की थी, जिसका उद्देश्य राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के तहत निवेशकों को आमंत्रित करना था। इसके बाद चौधरी ने अदालत में प्रार्थना पत्र लगाया था, जिसमें उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
चौधरी का आरोप:
सांवरमल चौधरी ने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि गोपालगढ़ दंगा मामले में कई प्रभावशाली लोग, जैसे कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म, और पूर्व मंत्री जाहिदा खान, आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई का केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण यह इन नेताओं को अप्रत्यक्ष सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सीबीआई द्वारा अदालत में कोई जवाब नहीं दिया गया, जबकि अन्य आरोपियों की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर यह मांग की जाती है कि अदालत बिना अनुमति विदेश जाने की शर्त को हटा दे। इस पर सीबीआई शर्त हटाने का विरोध करते हुए कहती है कि इससे आरोपियों के फरार होने का खतरा है। चौधरी ने सीबीआई पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया।
सीएम की दूसरी विदेश यात्रा और अनुमति:
दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा के बाद, सीएम भजनलाल शर्मा ने जर्मनी और लंदन की यात्रा के लिए अदालत से अनुमति ली थी। इस बार उन्होंने 13 से 25 अक्टूबर तक विदेश जाने की अनुमति मांगी थी, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी थी। यह तथ्य दर्शाता है कि सीएम ने दूसरी यात्रा के लिए अदालत के आदेशों का पालन किया, जिससे उनकी जमानत शर्तों का उल्लंघन नहीं हुआ।
चौधरी का तर्क और अदालत का फैसला:
सांवरमल चौधरी ने दावा किया कि प्रभावशाली लोग, जिनमें सीएम और अन्य नेता शामिल हैं, अदालत के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा दी गई शर्तों का उल्लंघन न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि इससे कानून के प्रति अवहेलना का भी संदेश जाता है। हालाँकि, अदालत ने इस तर्क को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि चौधरी को इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से कोई नुकसान नहीं हुआ है। अदालत ने साफ किया कि इस मामले में प्रार्थना पत्र अस्वीकार्य है, क्योंकि प्रार्थी का कोई प्रत्यक्ष हित प्रभावित नहीं हुआ है।